जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने उन ज्यादातर तबादलों को रद्द कर दिया, जो एम नागेश्वर राव ने किए थे. राव (वर्मा की गैरमौजूदगी में) अंतरिम निदेशक के तौर पर सीबीआई प्रमुख का प्रभार संभाले हुए थे. 1979 बैच के एजीएमयूटी काडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा बुधवार सुबह करीब दस बजकर 40 मिनट पर सीबीआई मुख्यालय पहुंचे.
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था. वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर रात सीवीसी की सिफारिश पर जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.
राव ने कब किए थे ये ट्रांसफर
अधिकारियों के मुताबिक, सीबीआई मुख्यालय पहुंचने पर वर्मा का राव ने स्वागत किया. 1986 बैच के ओडिशा काडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन संयुक्त निदेशक) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया. बाद में अतिरिक्त निदेशक के रूप में उनका प्रमोशन किया लगा था.
अगली सुबह ही राव ने सात ट्रांसफर ऑर्डर जारी किए थे. उनमें अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाले अधिकारी जैसे कि डीएसपी ए के बस्सी, डीआईजी एम के सिन्हा, संयुक्त निदेशक ए के शर्मा भी शामिल थे. 3 जनवरी, 2019 को उन्होंने संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों का भी ट्रांसफर किया था.
वर्मा ने दो आदेश जारी कर ट्रांसफर वापस लिए
वर्मा ने बुधवार को दो आदेश जारी करके उन ट्रांसफर्स को वापस ले लिया जो 24 अक्टूबर 2018 और 3 जनवरी, 2019 को राव ने किए थे. वर्मा को छुट्टी पर भेजने के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई निदेशक को राजनीतिक हस्तक्षेप से मिली छूट की अनदेखी की थी.
सरकार ने यह कहते हुए अपने कदम को सही ठहराने का प्रयास किया कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद के दौरान ऐसा करना जरूरी हो गया था. दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
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