ADVERTISEMENTREMOVE AD

ED के छापे पर एमनेस्टी ने कहा- हमसे अपराधी जैसा सलूक कर रही सरकार

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ईडी की छापेमारी की कार्रवाई के बाद सरकार की आलोचना की

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ऑफिस पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद ऑर्गनाइजेशन ने सरकार की आलोचना की है. एमनेस्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार मानवाधिकार संगठनों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है, जैसे वो अपराधी हों.

ईडी ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) का उल्लंघन करने के एक मामले में गुरुवार को दो जगहों पर तलाशी ली थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आकार पटेल ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकारी अथॉरिटी लगातार मानवाधिकार संस्थाओं के साथ अपराधी संगठनों की तरह व्यवहार करती आ रही है.’’

सीबीआई फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत इस संगठन से डॉक्‍यूमेंट तलाश कर रही है.

आकार पटेल ने कहा कि ईडी फेमा के कथित उल्लंघन की पड़ताल कर रहा है. उन्‍होंने बताया कि गृह मंत्रालय पहले से ही फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत एनजीओ के खातों की जांच कर रहा है.

एक संगठन के तौर पर हम कानून-व्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध हैं. भारत में हमारा कामकाज हमेशा राष्ट्रीय नीतियों के मुताबिक रहा है. हम पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांत पर काम करते हैं.
आकार पटेल, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया

पटेल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आपातकाल के दौर के उत्पीड़न ने भारत के इतिहास पर धब्बा लगाया. यहां हम प्रधानमंत्री के साथ सहमत नहीं हो सकते हैं, क्योंकि दुर्भाग्यवश भारत पर वह काली छाया फिर से मंडराने लगी है.''

पटेल ने कहा, ‘‘मानवाधिकारों की रक्षा करने की बजाए भारत सरकार उन लोगों को निशाना बना रही है, जो मानवाधिकारों की रक्षा के लिए लड़ते हैं.''

अगस्त में पब्लिश द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी एफसीआरए यूनिट से संबंधित एक नया मुद्दा देख रहा है. इसमें बताया गया है कि ब्रिटेन में स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल-यूके और दूसरी कुछ संस्थाओं ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) का उल्लंघन करते हुए कमर्शियल चैनलों के जरिए एमनेस्टी की भारतीय संस्था में धन उगाहा है.

(इनपुट: भाषा)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×