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21 साल बाद सुपर साइक्लोन, कितना खतरनाक है ये Amphane?

अम्फान तूफान क्या बला है, इस तूफान का कितना खतरा है, साथ ही इससे निपटने के लिए देश की तैयारियां क्या हैं?

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देश अभी कोरोना वायरस की महमारी से जूझ रहा है तो इस बीच अम्फान तूफान का भी खतरा मंडराने लगा है. मौसम विभाग की तरफ से पश्चिम बंगाल और उत्तर ओडिशा के लिए अलर्ट जारी है, केरल के 13 जिलों में येलो अलर्ट जारी कर दिया गया है. येलो अलर्ट का मतलब है कि लोगों और अधिकारियों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि राज्य में भारी बारिश की आशंका है. अब ऐसे में अम्फान तूफान क्या बला है, इस तूफान का कितना खतरा है, साथ ही इससे निपटने के लिए देश की तैयारियां क्या हैं, आइए जानते हैं.

सबसे पहले सरकार की तैयारी क्या है इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानिए

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NDRF और IMD प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें

  • 1999 में ओडिशा में सुपर साइक्लोन आया था. उस वक्त के बाद से अब ये दूसरा सुपरसाइक्लोन आ रहा है. ये जो नया साइक्लोन है वो उसी तरह का है.
  • सुपर साइक्लोन 250 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से होता है.
  • 20 मई की सुबह या दोपहर में किसी वक्त इस साइक्लोन की लैंडिंग हो सकती है, जहां लैंडिंग होगी वहां रिहायशी इलाके हैं, जहां काफी ज्यादा आबादी है.
  • ओडिशा के उत्तर पूर्व के तटवर्तीय जिले हैं, जहां पर नुकसान हो सकता है. ओडिशा के भद्रक, बालासोर में ज्यादा नुकसान होने की संभावना है.
  • IMD की आशंका है कि जो कच्चे मकान है, छत हैं, नारियल पेड़. इलेक्ट्रिक पोल और टेलीकॉम पोल का सीरियस डैमेज हो सकता है. जानमाल का बहुत बड़ा खता रहा.
  • कई दशकों के बाद सुपरसाइक्लोन आ रहा है, सरकार ने बहुत गंभीरता से इसे लिया है. अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीन बड़े प्लेटफॉर्म ने मीटिंग ली है. सबसे पहले NCMC की मीटिंग हुई, इसके बाद गृहमंत्री ने समीक्षा बैठक ली, पीएम मोदी ने भी बैठक ली.
  • पश्चिम बंगाल में NDRF की 19 टीम तैनात की जा रही हैं और 4 टीम स्टैंडबाई पर हैं.
  • ओडिशा में 13 टीमें तैनात की जा रही हैं, 17 टीमें स्टैंडबाई में हैं.
  • इसके अलावा NDRF की 6 बटालियन में से 4-4- टीम हॉट स्टैंड बाई में रखा गया है.

किन राज्यों पर है खतरा?

अम्फान तूफान का बड़ा असर पश्चिम बंगाल के ईस्ट मेदिनीपुर, साउथ और नॉर्थ 24 परगना, हावड़ा, हुगली और कोलकाता जैसे जिलों में दिख सकता है. साथ ही ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भारी बारिश हो सकती है. इन राज्यों में मछुआरों को समुंद्र में न जाने की सलाह दी गई है.

ऐसी आशंका जताई जा रही है कि तूफान की वजह से पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों में कम्युनिकेशन ठप पड़ सकता है, कई हिस्सों में रेल और रोड यातायात पर भी इसका असर होगा. साथ ही खड़ी फसलों और बगीचों को भी नुकसान हो सकता है. ओडिशा के जगतसिंहपुर, जयपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर और मयूरभंज जैसे जिले प्रभावित रहेंगे. अब ओडिशा सरकार ने 11 लाख लोगों को संवेदनशील जगहों से खाली करने का फैसला किया है.

NDRF की 37 टीमें तैयार

इस तूफान की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पीएम मोदी ने हालात की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की है. जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. समीक्षा बैठक के बाद बताया गया कि NDRF की 25 टीमों को ग्राउंड पर भेज दिया गया है, वहीं हालात को ध्यान में रखते हुए 12 दूसरी टीमों को रिजर्व रखा गया है.

मौसम विभाग के मुताबिक, ये तूफान बीस मई की दोपहर को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों को पार कर जाएगा. इस दौरान 165 से 185 किलोमीटर की रफ्तार से आंधी चलने की आशंका है. ये भी साफ कर दें कि यूपी, बिहार, दिल्ली जैसे राज्यों में इस तूफान का असर नहीं होगा.

तूफानों के नाम कैसे रखे जाते हैं?

अम्फान तूफान साल 2004 में तैयार की गई तूफानों की लिस्‍ट का आखिरी नाम है. इस तूफान का नाम थाईलैंड की तरफ से आया था.

सबसे पहले चक्रवातीय तूफानों के नाम की शुरुआत साल 1953 में हुई. अटलांटिक महासागर क्षेत्र में एक समझौते के तहत तूफानों के नाम रखने की शुरुआत हुई. अमेरिका के मयामी स्थित नेशनल हरिकेन सेंटर ने इसकी शुरुआत की. शुरुआती दौर में अमेरिकी महादेश में इसका नाम महिलाओं के नाम पर शुरू किया गया. ऑस्ट्रेलिया में पहले भ्रष्ट नेताओं पर तूफानों के नाम रखे गए. बाद में साल 1973 में इसमें ओवरऑल एक बदलाव देखने को मिला और इसे एक मेल और फिर एक फीमेल नाम देने का ट्रेंड शुरू हुआ.

साल 2004 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की अगुवाई वाला अंतरराष्ट्रीय पैनल भंग कर दिया गया. इसके बाद संबंधित देशों से अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम खुद रखने को कहा गया.

हिंद महासागर क्षेत्र के देशों में भारत की पहल पर इसकी शुरुआत 2004 में हुई. भारत की अगुआई में आठ तटीय देशों में इसको लेकर समझौता हुआ. इन देशों में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं.

इन आठ देशों में जिधर तूफान आता है उस देश के सुझाव पर अब उसका नाम रखा जाता है. इससे उस इलाके के लोगों को इसकी जानकारी में मदद भी मिलती है.

अभी अप्रैल महीने में ही 13 सदस्यों ने 13-13 चक्रवातों के नाम सुझाए हैं. ये अब नई लिस्ट है.जिसमें भारत की तरफ से नाम हैं गती, तेज, मुरासु, आग, व्योम, झार, प्रोबाहो, नीर, प्रबंजन, घुन्नी, अंबुद, जलधि और वेगा शामिल हैं, जबकि चक्रवातों के कुछ बांग्लादेशी नाम निसारगा, बिप्रजॉय, अर्नब और उपकुल हैं.

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