महाराष्ट्र (Maharashtra) में अमरावती (Amravati Lok Sabha) सीट चर्चा का विषय बनी हुई है, ऐसा इसलिए है कि यहां से बीजेपी (BJP) पहली बार चुनाव लड़ रही है. वहीं शिवसेना (Shiv Sena) के गढ़ वाली इस सीट से न तो उद्धव गुट की शिवसेना लड़ रही है और न ही शिंदे गुट की सेना मैदान में हैं इसलिए यहां सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस (Congress) के बीच होगा.
शिवसेना के गढ़ में बीजेपी Vs कांग्रेस
बीजेपी ने पहली बार अमरावती से अपना उम्मीदवार उतारा है. पार्टी ने नवनीत कौर राणा को टिकट दिया है जो पिछले साल राज्य में हनुमान चालीसा पाठ को लेकर काफी चर्चा में रहीं. बता दें कि शिंदे गुट और बीजेपी के स्थानीय नेता राणा की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं.
वहीं, राज्य में गठबंधन के तहत ये सीट कांग्रेस के खाते में आई है. पार्टी ने बलवंत वानखेड़े को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है. बलवंत वानखेडे़ अमरावती लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली दर्यापुर विधानसभा से विधायक हैं.
इसके अलावा निर्दलीय के रूप में आनंदराज अंबेडकर ने भी यहां से अपना नामांकन भरा है, बीएसपी ने संजय कुमार खोडके को टिकट दिया है और प्रहार जनशक्ति पार्टी ने दिनेश बुब को टिकट दिया है.
कौन से फैक्टर करेंगे प्रभावित?
उम्मीदवारों पर एक नजर दौड़ाई जाए तो कहा जा सकता है कि नवनीत राणा एक मजबूत कैडिडेट हैं. पीएम मोदी फैक्टर का उन्हें फायदा मिल सकता है. वहीं वो इसी सीट से मौजूदा सांसद रह चुके हैं. राणा इस सीट से बिना किसी पार्टी के समर्थन के ही निर्दलीय जीतीं थीं.
अमरावती लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें हैं. इनमें बडनेरा, अमरावती, दर्यापुर, तिवसा, मेलघाट और अचलपुर विधानसभा सीट शामिल हैं. इनमें से तीन सीटों - अमरावती, तिवसा और दर्यापुर पर कांग्रेस का कब्जा है. बडनेरा में निर्दलीय और मेलघाट और अचलपुर में प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक हैं. बडनेरा से नवनीत कौर राणा के पति रवि राणा निर्दलीय विधायक हैं.
इस क्षेत्र में 35% ओबीसी मतदाता हैं, अब क्या ये राणा को वोट देंगे या अन्य दो उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनेंगे? वहीं ये सीट एससी के लिए आरक्षित है इसीलिए 28% मतदाताओं का निर्णय भी महत्वपूर्ण होगा जो दलित और अनुसूचित जनजाति हैं.
इसके अलावा, इस सीट पर ज्यादातर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पिछली बार राणा को मिला था लेकिन क्या इस बार वे बीजेपी समर्थित राणा के पक्ष में जाएंगे? अमरावती के 18 लाख मतदाताओं में से लगभग दो लाख मुस्लिम समुदाय से हैं और 50,000 से अधिक मतदाता सामान्य श्रेणी में आते हैं.
पिछले चुनावी नतीजों पर नजर
1984 तक अमरावती सीट पर कांग्रेस का कब्जा था. 1989 में कम्युनिस्ट पार्टी ने यहां से जीत दर्ज की थी, 1992 में कांग्रेस ने फिर यहां से जीत दर्ज की लेकिन 1996 में पहली बार बीजेपी के साथ मिलकर शिवसेना ने जब यहां से अपना उम्मीदवार उतारा तब से कांग्रेस के गढ़ में बड़ी सेंध लगी. शिवसेना 1999, 2004, 2009 और 2014 तक जीतती रही.
2019 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से आई नवनीत राणा ने निर्दलीय 45.9% वोट के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं शिवसेना के अडसुल आनंदराव विठ्ठोबा ने राणा को कड़ी टक्कर देते हुए 42.6% वोट शेयर हासिल किया था.
2014 के चुनाव में शिवसेना के अडसुल आनंदराव विठ्ठोबा ने 46.5% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. तब कांग्रेस में शामिल राणा को 32.8% वोट शेयर मिला था.
2009 के चुनाव में भी शिवसेना के अडसुल आनंदराव विठ्ठोबा ने ही जीत दर्ज थी.
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