पिछले 13 दिन से पुलिस को चकमा दे रहे 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने लगातार दूसरे दिन वीडियो जारी किया है. गुरुवार को यूट्यूब पर वीडियो जारी कर उसने साफ कहा है कि वह सरेंडर नहीं करेगा.
30 वर्षीय अमृतपाल 18 मार्च को उसके और उसके खालिस्तान समर्थक वारिस पंजाब डे संगठन के सदस्यों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद से फरार चल रहा है.
अमृतपाल ने आज के वीडियो की शुरुआत अपने पहले वीडियो से लगाईं जा रहीं अटकलों को खारिज करते हुए की. अमृतपाल ने कहा कि वह जल्द ही सार्वजनिक रूप से सामने आएगा और देश से बाहर नहीं जा रहा है.
“जो लोग सोचते हैं कि मैं भगोड़ा हूं या मैंने अपने दोस्तों को छोड़ दिया है तो कृपया ऐसा न सोचें. मैं मरने से नहीं डरता. मौत आने पर मैं इसे स्वीकार करूंगा... मैं बहुत जल्द जनता के सामने आऊंगा और समुदाय के साथ रहूंगा. मैं उनमें से नहीं हूं जो देश छोड़कर विदेश जाएं और फिर वीडियो के जरिए जनता को संदेश दें. 20-22 मील चलना और दिन में केवल एक बार भोजन करना आसान नहीं है. इन दिनों गुजारा करना मुश्किल है. लेकिन मैं संगत से उच्च मनोबल बनाए रखने का अनुरोध करता हूं."अमृतपाल
फिर से की सरबत खालसा बुलाने की मांग की
अमृतपाल सिंह ने एक बार फिर अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से सरबत खालसा बुलाने की मांग की है.
“मैंने सरबत खालसा बुलाने को कहा. जत्थेदार साहब ने मीटिंग बुलाई. जिन्होंने साथ दिया, मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. जिन्होंने विरोध किया, मैं उन्हें भी धन्यवाद देता हूं. मैं किसी के खिलाफ नहीं बोलूंगा. जत्थेदार साहब ने कहा कि हम खालसा वाहीर शुरू करेंगे. मैं इसका समर्थन करता हूं. लेकिन यह जत्थेदार साहब की भी परीक्षा है. मैं पहले से ही अपनी परीक्षा से गुजर रहा हूं. आपकी परीक्षा यह है कि आप हमारे समुदाय के अधिकारों के लिए कितनी दृढ़ता से खड़े होंगे."अमृतपाल सिंह
उसने आगे कहा है कि “अगर आपको वाहीर करनी ही है तो वह अकाल तख्त साहिब से शुरू होकर वैसाखी के लिए दमदमा साहिब पहुंचे और वहां सरबत खालसा हो. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वाहीर नहीं होना चाहिए. वाहीर होना चाहिए. लेकिन यह कहना कि हम गांवों में रहने वाले लोगों में जागरूकता पैदा करेंगे, वह सतही है. लोग पहले से ही जागरूक हैं."
"मैंने सरेंडर के लिए कोई शर्त नहीं रखी"
वीडियो में अमृतपाल ने कहा. "मैंने सरेंडर करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी है. आधारहीन अफवाहें फैलाई जा रही थीं कि मैंने सरेंडर करने के लिए तीन शर्तें रखी हैं कि थाने में मेरी पिटाई न हो. जितना चाहो मुझे मारो. मैं यातना या जेल जाने से नहीं डरता. मैं संगत से अपील करता हूं कि इन अफवाहों पर विश्वास न करें. मैं चढ़दी कला में हूं"
बता दें कि सिख धर्म में चढ़दी कला शाश्वत लचीलापन, आशावाद और आनंद की मानसिक स्थिति को बनाए रखने की आकांक्षा के लिए पंजाबी शब्द है.
आखिर में फिर से बुलाने की मांग की
वीडियो के आखिर में अमृतपाल ने कहा कि "मैं एक बार फिर अकाल तख्त के जत्थेदार से सरबत खालसा को बुलाने का आग्रह करता हूं. यह उसके लिए एक परीक्षा है कि वह समुदाय के प्रति ईमानदार है या नहीं. उन पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि वो एक परिवार के राजनीतिक हितों का समर्थन करते हैं, यह खुद को इस आरोप से मुक्त करने का एक मौका है. मैं एक बार फिर उनसे वैसाखी पर सरबत खालसा बुलाने का आग्रह करता हूं."
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