कुछ एक्टिविस्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस और अन्य लोगों ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया. 24 दिसंबर को नई दिल्ली में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट 'द सीज ऑफ एएमयू' को रिलीज करते हुए, पूर्व आईएएस अफसर और कॉलमनिस्ट हर्ष मंदर ने कहा कि छात्रों की गवाही से पता चलता है कि एएमयू प्रशासन, जिला अधिकारी और यूपी सरकार छात्रों को कैंपस में सुरक्षा देने में फेल हुए हैं.
मंदर ने कहा कि पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया, जो केवल आतंकवादियों और खतरनाक अपराधियों के खिलाफ किया जाता है.
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज किया है और कहा है कि छात्रों के हिंसा शुरू करने के बाद आत्मरक्षा के रूप में न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया.
अलीगढ़ सिटी एसपी अभिषेक ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हो सकता है कि पुलिसकर्मियों ने स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया होगा, कितने स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया, ये जांच के बाद ही पता चल सकता है. हमारे पास क्लिप हैं जिसमें दिख रहा है कि छात्रों ने आंसू गैस के शेल वापस फेंके. स्टन ग्रेनेड घातक नहीं होते हैं और सिर्फ आवाज करते हैं. भीड़ को हटाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.'
वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि एएमयू में हिंसा को संभालने के दौरान पुलिस ने कोई ज्यादती नहीं की और पुलिस ने केवल अपनी ड्यूटी निभाई है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंसा के दौरान जब एंबुलेंस घायल छात्रों को अस्पताल ले जाने के लिए पहुंची, तो उनपर पुलिस ने हमला किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि एंबुलेंस के ड्राइवर और मेडिकल स्टाफ पर हमला किया गया और उन्हें घायल छात्रों से दूर रहने के लिए कहा गया.
'हमला करते वक्त पुलिस ने लगाए जय श्री राम के नारे'
सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक नताशा बधवार ने कहा कि छात्रों ने दावा किया है कि पुलिस ने उनपर हमला करते समय 'जय श्री राम' के नारे लगाए और वो व्यवहार में 'मुस्लिम-विरोधी' लग रहे थे.
13 सोशल एक्टिविस्ट की इस टीम में शामिल हर्ष मंदर ने कहा कि एएमयू प्रशासन ने पुलिस बल और हथियार को कैंपस के अंदर आने दिया.
15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 100 से ज्यादा छात्र घायल हो गए थे, जिसमें से 20 की हालत गंभीर थी.
एक्टिविस्ट नंदिनी सुंदर, जॉन दयाल, विमल, अंकिता रामगोपाल, सुमित कुमार गुप्ता, इशिता मेहता, वर्दा दीक्षित, वरना बालाकृष्णन, सय्यद मोहम्मद जहीर, अनवर हक, संदीप यादव सोशल एक्टिविस्ट के इस ग्रुप में शामिल हैं.
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