गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आर्टिकल 370 हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया है. इसे राष्ट्रपति की मंजूरी दे दी गई है. इसके साथ ही शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल भी पेश किया. पुनर्गठन विधेयक लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख विधानसभा के बिना केंद्र शासित प्रदेश होगा.
इस बीच विपक्ष के नेताओं ने सदन में जोरदार हंगामा कर रहे हैं. संविधान की कॉपी फाड़ी गई.
जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने के मायने
- जम्मू-कश्मीर अब पूर्ण राज्य नहीं
- जम्मू-कश्मीर से लद्दाख अलग होगा
- लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा
राज्यसभा में विपक्षी सांसद वेल में आकर जमकर नारेबाजी कर रहे. सभापति वेंकैया नायडू ने खड़े होकर सांसदों से शांत रहने की अपील की, लेकिन सांसद लगातार नारेबाजी कर रहे हैं.
मुफ्ती ने बताया लोकतंत्र में सबसे काला दिन
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज भारतीय लोकतंत्र में सबसे काला दिन बताया. उन्होंने कहा, "आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे काला दिन है. जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व को 1947 में टू नेशन थ्योरी को खारिज करने का नुकसान उठाना पड़ा है. सरकार का 370 को हटाने का एकतरफा फैसला गैरकानूनी और असंवैधानिक है. ये भारत को जम्मू-कश्मीर में अधिकृत ताकत बना देगा.”
उन्होंने कहा, “इस फैसले के इस उप महाद्वीप में भयानक असर होंगे. भारतीय सरकार के इरादे साफ हैं. ये जम्मू-कश्मीर के लोगों को डराकर यहां के क्षेत्र को हथियाना चाहते हैं. भारत कश्मीर से वादे निभाने में नाकाम रहा.”
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने संसद में कहा, ''मैं (संविधान की कॉपी फाड़ने की कोशिश करने की) 2-3 सांसदों की गतिविधि का विरोध करता हूं. हम भारत के संविधान के साथ खड़े हैं. हम हिंदुस्तान के स्वाभिवान के लिए जान की बाजी लगा देंगे, लेकिन आज बीजेपी ने आज संविधान की हत्या की है.''
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