अशोका यूनिवर्सिटी से दो बड़े प्रोफेसर के इस्तीफे का मामला पिछले दिनों खूब सुर्खियों में था. प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता और अवरिंद सुब्रह्मणयन के इस्तीफे के बाद कई तरह के सवाल उठे और छात्रों ने प्रशासन का विरोध भी किया. अब इस मामले को लेकर एक बार फिर अशोका यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी किया गया है. जिसमें उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया गया है, जिन्होंने यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता के समर्थन में अपनी बात कही थी. साथ ही कहा है कि वो एकेडमिक फ्रीडम के लिए प्रतिबद्ध हैं.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर
इस बयान में कहा गया है कि, आजादी वो होती है जो खुद की बात को खुले तौर पर रखने का अधिकार देती है. इसीलिए यूनिवर्सिटी जैसे किसी भी संस्थान में, जहां पर जीवन को बदल देने वाला ज्ञान और सीख मिलती है, वो खुद में ही आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक हिस्सा होता है. अशोका यूनिवर्सिटी जिसे एक लिबरल आर्ट यूनिवर्सिटी के तौर पर जाना जाता है, उसके मूल में ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. फैकल्टी के हैंडबुक और गाइडलाइंस के सेक्शन 8 में फैकल्टी के अधिकारों और जिम्मेदारियों को बताया गया है.
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की तरफ से कहा गया है कि, इन तमाम बातों के अलावा मौजूदा दौर में अशोका यूनिवर्सिटी में कई अहम बदलावों की जरूरत है. यूनवर्सिटी के फाउंडर्स ने यूनिवर्सिटी को स्थापित करने के लिए रिसोर्सेस और ऊर्जा लगाने का काम किया, लेकिन इसमें कभी किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं हुआ.
एकेडमिक फंक्शनिंग में हस्तक्षेप नहीं होने का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि कैसे पढ़ाई कराई जाए, कैसे मूल्यांकन किया जाए और कैसे रिक्रूटमेंट हो. बल्कि इसका मतलब ये भी था कि फैकल्टी को अपनी मर्जी का लिखने, बोलने और अन्य बाकी चीजों की आजादी थी.
बेसिक स्ट्रक्चर को बचाने की जरूरत
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने अपने बयान में कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी के बेसिक स्ट्रक्चर को बचाने की जरूरत है. इसके लिए कुछ प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है. इनमें पहले ही कुछ ऐसी बॉडी मौजूद हैं, जिनमें एकेडमिक काउंसिल और बोर्ड ऑफ मैनजमेंट शामिल हैं. लेकिन इन सभी को और मजबूत करने की जरूरत है. ये तभी हो सकता है, जब फैकल्टी के साथ ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो.
इस बयान में छात्रों की समस्याओं का भी जिक्र किया गया है. जिसमें कहा गया है कि अशोका यूनिवर्सिटी के छात्र, जो आलोचनात्मक तरीके से सोचते हैं और जिनके मन में कई सवाल और दुविधाएं हैं, उन्हें भी सुना जाना चाहिए. उन्हें भी अपनी अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर चिंताएं हैं.
इस बयान में यूनिवर्सिटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक नई शुरुआत करने की बात कही गई है. एक ऐसी जगह बनाने की बात कही गई है, जहां पर निष्पक्ष जांच, बोलने की आजादी, ईमानदारी, सभी लोगों के प्रति सम्मान हो.
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