असम के एक गांव में दो स्थानीय लोगों को एक भीड़ ने जादू-टोना करने के शक में मार डाला. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना 30 सितंबर की रात को हुई थी लेकिन पुलिस को इसके बारे में 1 अक्टूबर को ही पता चल पाया. पुलिस ने मारे गए दोनों लोगों के कुछ अवशेष इकट्ठा किए हैं. इस मामले में अब तक नौ गांव वालों को गिरफ्तार किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस सूत्रों ने बताया कि कारबी आंगलोंग जिले के रोहीमपुर इलाके में कुछ दिन पहले एक महिला की मौत हो गई थी. पहले उसकी तबीयत खराब हुई थी और फिर उसे इलाज के लिए गुवाहाटी ले जाया गया था.
30 सितंबर को इस महिला की मौत के बाद गांव में कुछ रीति-रिवाज किए गए. गांव वालों का दावा है कि इस दौरान एक 50 साल की विधवा औरत रामवती हलुआ ने ‘अजीब’ व्यवहार किया.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि रामवती जादू-टोना करती है. एक कंगारू कोर्ट ने महिला को ‘चुड़ैल’ घोषित कर दिया. पुलिस सूत्रों का कहना है कि गांव वालों ने उस महिला को लोगों पर आ रही परेशानियों के लिए जिम्मेदार ठहराया और एक भीड़ ने उसे पीटना शुरू कर दिया. लोगों ने उस पर नुकीले हथियारों से हमला भी किया.
दूसरी मौत कैसे हुई?
इस महिला को बचाने के लिए एक 28 साल के शिक्षित आदमी बिजॉय गौर ने बीच-बचाव किया था. बिजॉय ने लोगों पर अंधविश्वासी होने का आरोप लगाया. पुलिस के मुताबिक, लोगों ने बिजॉय पर भी हमला किया.
गुस्साई भीड़ ने महिला और बिजॉय को पीट-पीटकर जान से मार डाला. पुलिस सूत्रों का कहना है कि लोगों ने स्थानीय देवता के रीति-रिवाज किए और दोनों शवों को पास के ही पहाड़ पर जलाने की कोशिश की.
पुलिस ने क्या कहा?
कारबी आंगलोंग जिले के पुलिस सुपरिंटेंडेंट देबोजीत देओरी ने बताया है कि पुलिस ने चिता से दोनों लोगों के अवशेष बरामद किए हैं. देबोजीत ने कहा, "हमने मौके से मिट्टी के सैंपल भी लिए हैं. घटना में इस्तेमाल हुए धारदार हथियार कब्जे में लिए गए हैं और नौ लोगों को गिरफ्तार किया है."
उन्होंने बताया कि इन सभी से पूछताछ हो रही है और बाकी लोगों को ढूंढा जा रहा है. सभी गिरफ्तार हुए लोग एक ही गांव और समुदाय से हैं.
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