पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी ऐसी अनगिनत यादें हैं, जिसे लोग कभी नहीं भूल पाएंगे. अटल की जिंदगी की अनकही कहानियां हैं, जिसे लोग नहीं जानते हैं. अटल के पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्दान थे, ये तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते होंगे, कि अटल और उनके पिता ने एक साथ एक क्लास में लॉ की पढ़ाई की थी.
अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर में बीए करने के बाद कानपुर के डीएवी कालेज से कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया, लेकिन अचानक उनके पिता ने भी उनके साथ उसी कॉलेज में कानून की पढ़ाई करने की इच्छा बताई और दोनों पिता-पुत्र एक साथ कानपुर पहुंचे.
अटल ने अपनी किताब ‘दैन्यं न पलायनम’में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है-
यह घटना कितनी आकस्मिक और आश्चर्यजनक थी, इसका अनुभव मुझे उस दिन हुआ जब पिताजी तत्कालीन प्रिंसिपल कालका प्रसाद भटनागर के ऑफिस में मौजूद थे. पचास से ऊपर की उम्र, सिर के सभी बाल सफेद, हाथ में डंडा, पिता जी जब प्रिंसिपल के कमरे में पहुंचे, तो भटनागर साहब समझे कि ये सज्जन या तो प्रोफेसर के किसी पद के लिए आए हैं, या उन्हें कॉलेज में किसी को एडमिशन दिलाना है, लेकिन जब भटनागर साहब को यह पता लगा कि ये सज्जन खुद एलएलबी में एडमिशन लेने के लिए आए हैं, तो वे कुर्सी से उछल पड़े और कहने लगे कि आपने तो कमाल कर दिया.
अटल और उनके पिता को देखने के लिए जुटती थी भीड़
हॉस्टल में भी अटल अपने पिता के साथ एक ही कमरे में रहते थे, दोनों को एक ही सेक्शन में एडमिशन भी मिल गया. कॉलेज के छात्र भी अक्सर झुंड में दोनों को देखने आया करते थे. जब कभी अटल के पिताजी कॉलेज में देर से पहुंचते थे, तो प्रोफेसर ठहाकों के बीच उनसे पूछते- पिताजी कहां गायब हैं? और जब भी अटल जी देर से पहुंचते तो उनके पिता से जवाब-तलब किया जाता कि आपके साहबजादे क्यों नदारद हैं?
उस वक्त अटल जी सुबह दूध लेने जाया करते थे, जिस वजह से उनको अक्सर देर हो जाया करती थी, बाद में उन्होंने अपना सेक्शन ही बदलवा दिया.
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