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अटॉर्नी जनरल रोहतगी ‘नहीं चाहते’ अगला कार्यकाल, ये हो सकती है वजह

रोहतगी के कार्यकाल के बीच में कई बार ऐसे मौके आएं जब कोर्ट ने उनकी दलीलों को नकार दिया

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भारत
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देश के अटॉर्नी जनरल (AG) मुकुल रोहतगी ने रविवार को कहा कि वो आगे इस पद पर बने रहना नहीं चाहते हैं. रोहतगी ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने ही सरकार को चिट्ठी लिखकर अपनी इच्छा जता दी थी. रोहतगी अब निजी प्रैक्टिस शुरू करना चाहते हैं.

बता दें कि मुकुल रोहतगी को मोदी सरकार आने के बाद ही जून 2014 में इस पद पर 3 सालों के लिए नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है.

इसी महीने सरकार ने रोहतगी के कार्यकाल को अगले आदेश तक बढ़ा दिया था. ऐसे में अटकलें ये भी हैं कि रोहतगी ने सरकार के किसी भी आदेश के पहले ही साफ कर दिया है कि वो आगे इस पद पर बने नहीं रहना चाहते हैं.
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जानकारों का कहना है कि मुकुल रोहतगी के इस फैसले के पीछे उनके कार्यकाल के दौरान न्यायपालिका और उनके बीच तनातनी की वजह है. सरकार भी इस वजह से कार्यकाल बढ़ाने में संकोच कर सकती है. रोहतगी के कार्यकाल के बीच में कई बार ऐसे मौके आएं जब कोर्ट ने उनकी दलीलों को नकार दिया.

डालते हैं एक नजर-

1. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC): साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को असंवैधानिक करार दिया था. इस आयोग का गठन जजों की नियुक्ति के लिए किया गया था. इस दौरान मुकुल रोहतगी अटॉर्नी जनरल थे और उनकी कई दलीलों को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. ये बतौर अटॉर्नी जनरल रोहतगी के लिए बड़ा झटका था.

2. उत्तराखंड, अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन: साल 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था.

बाद में इस मामले मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट लेकर गए और अंत में 11 मई 2016 को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया.

इस मामले में मुकुल रोहतगी सरकार का पक्ष रख रहे थे ऐसे में उन्हें बड़ी नाकामी हाथ लगी थी. यहीं हाल अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर हुआ था. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को यहां भी मायूसी हाथ लगी.

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तीन तलाक के मामले में भी रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा है, इस मामले में अभी फैसला नहीं आया है.

मुकुल रोहतगी का पीएम मोदी कनेक्शन

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस अवध बिहारी रोहतगी के बेटे हैं मुकुल रोहतगी. रोहतगी ने 2002 गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व किया था.

उन्होंने फर्जी मुठभेड मामलों जैसे बेस्ट बेकरी और जाहिरा शेख मामलों में भी सरकार का प्रतिनिधित्व किया था. रोहतगी कॉर्पोरेट मामलों के वकील हैं. टूजी घोटाले में वह बडी कॉर्पोरेट कंपनियों की ओर से पेश हुए थे.

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