सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की रोजाना सुनवाई करेगा. बता दें कि मध्यस्थता के जरिए इस विवाद के समाधान की कोशिश नाकाम होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई का फैसला किया है.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई करेगी. इस बेंच में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं. बेंच ने 2 अगस्त को 3 सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को 3 सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला की अगुवाई वाली इस समिति में वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी शामिल थे.
मध्यस्थता समिति ने करीब 4 महीने तक अयोध्या विवाद का समाधान खोजने की कोशिश की थी. समिति ने इस विवाद का समाधान खोजने के लिए अयोध्या से करीब 7 किलोमीटर दूर फैजाबाद में बंद कमरे में संबंधित पक्षों से बातचीत की थी.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था, ‘‘हमें मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला द्वारा पेश की गई रिपोर्ट मिल गई है. हमने इसको देखा है. मध्यस्थता कार्यवाही से किसी भी तरह का अंतिम समाधान नहीं निकला है. इसलिए हमें अब लंबित अपील पर सुनवाई करनी होगी जो 6 अगस्त से शुरू होगी.’’
सुप्रीम कोर्ट अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर रोजाना सुनवाई करेगा.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने उस आदेश में कहा था कि विवादित जमीन को तीन समान हिस्सों में बांट दिया जाए और एक-एक हिस्सा राम लला (मूर्ति), निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए.
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