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अयोध्या विवाद: AIMPLB की मुस्लिमों से अपील, संविधान में रखें आस्था

17 अक्टूबर से पहले आ सकता है राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला

Published
भारत
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अयोध्या विवाद मामले में फैसला आने से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के मुसलमानों से संविधान में आस्था रखने की अपील की है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सीनियर मेंबर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि सभी इमाम मुसलमानों को संविधान में आस्था रखने, न्याय व्यवस्था का पालन करने और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की सलाह दें.

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को अपने रिटायरमेंट से पहले अयोध्या मामले में फैसला सुना सकते हैं.

‘‘मीडिया रिपोर्ट में ऐसा कहा जा रहा है कि जल्द ही अयोध्या मामले में फैसला आ सकता है. जैसा कि सबको पता है कि आजाद भारत में अयोध्या मामला सबसे बड़ा और संवेदनशील है. सारी दुनिया की नजर इस केस के फैसले पर है. ऐसे में सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है कि फैसले का सम्मान करें और शांति बनाए रखें. मेरी इमामों से अपील है कि मुसलमानों को घबराने की जरूरत नहीं है वो संविधान और न्याय व्यवस्था में आस्था बनाए रखें और जो फैसला आए, हमें स्वीकार करना चाहिए.’’
मौलाना खालिद (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

मौलाना खालिद ने ये भी अपील की है फैसला आने के बाद कोई भी नारेबाजी न करे और न ही जश्न मनाएं और न ही विरोध प्रदर्शन करें. कोई भी मुद्दा धार्मिक भावनाओं को दुखाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही किसी को भी गंगा-जमुनी तहजीब को खतरा नहीं पहुंचाने दिया जाना चाहिए.

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चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले में 40 दिनों की सुनवाई पूरी कर ली थी. इस मामले में 2010 में आए इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपीलें दायर की गई थीं. इलाहाबाद कोर्ट ने विवादित जन्मभूमि के 2.77 एकड़ जमीन के टुकड़े को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला किया था. ये बंटवारा निर्मोही अखाड़ा, राम लल्ला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच हुआ था.

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