समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) को 88वें मामले में मंगलवार को जमानत मिल गई. लेकिन, उन पर एक नया मुकदमा दर्ज किया गया है. इसलिए वो जेल से रिहा नहीं हो सकते. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये एक ट्रेंड बन गया है. एक ही आदमी पर 89 मुकदमे दर्ज हुए हैं. जब जमानत मिलती है, एक नया केस आ जाता है. ये कैसे हो रहा है?
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में आजम खान की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस एल नागेश्वर राव, बी आर गवई और बोपन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस गवई ने पूछा कि आजम खान को जमानत मिलते ही एक और केस दर्ज होने का इत्तेफाक क्यों हो रहा है?
इस पर यूपी सरकार के वकील ने कहा कि हर मुकदमा अपने आप में अलग है. राज्य सरकार हलफनामे के जरिए अदालत को ये समझाना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दे दी. अगली सुनवाई अगले हफ्ते मंगलवार को तय की है.
वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट आजम खान पर सख्त दिखा. कोर्ट ने कहा कि आजम खान ने सत्ता के नशे में मदहोश होकर अपने पद का दुरुपयोग किया था. कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि आजम अपने सपनों को पूरा करने के लिए जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर कारोबारी की तरह काम करते रहे. इस मामले में कई जगह ठगने जैसा काम किया गया है.
आजम खान को लेकर कोर्ट ने आगे कहा कि केवल वस्तु ही पवित्र नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसके साधन भी सही और पारदर्शी होने चाहिए. यूनिवर्सिटी का निर्माण एक अच्छा काम, लेकिन उसे तैयार करने में उपयोग किए गए साधन व कदम सही नहीं.
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