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लौट के ‘बाबा’ पुराने ढाबे आए, गौरव वासन को लेकर अब दी सफाई

ढाबे के मालिक कांता प्रसाद रेस्टोरेंट बंद कर अपनी पुरानी दुकान पर पहुंच गए हैं.

Published
भारत
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दिल्ली का बाबा का ढाबा एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वायरल हो रहे वीडियो में 80 वर्षीय ढाबा मालिक कांता प्रसाद ने फूड ब्लॉगर गौरव वासन के साथ अपने विवाद पर माफी मांगी है. बाबा का ढाबा यूट्यूबर गौरव वासन के वीडियो के बाद चर्चा में आया था, जिसपर कांता प्रसाद ने बाद में आरोप लगाए थे. अब कांता प्रसाद कह रहे हैं कि उन्होंने कभी भी गौरव को चोर नहीं कहा था.

ढाबे के मालिक कांता प्रसाद रेस्टोरेंट बंद कर अपनी पुरानी दुकान पर पहुंच गए हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि उनके नए रेस्टोरेंट से उन्हें कुछ खास कमाई नहीं हो रही थी.

नए वीडियो में क्या कहते दिख रहे हैं कांता प्रसाद?

नया वीडियो फूड ब्लॉगर करण दुआ ने 12 जून को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया था. इस वीडियो में कांता प्रसाद हाथ जोड़कर माफी मांगते नजर आ रहे हैं.

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“गौरव वासन, वो लड़का कभी चोर नहीं था. हमने कभी उसे चोर नहीं कहा. बस हमारे से एक चूक हुई. जनता-जनार्धन से कहते हैं कि अगर कोई गलती हो गई हो हमसे तो हमें माफ करना, इसके आगे हम कुछ नहीं कह सकते”.
कांता प्रसाद, बाबा का ढाबा के मालिक

क्या है पूरा मामला?

अभी कुछ महीनों पहले ही दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर के ‘बाबा का ढाबा’ की कहानी देशभर में चर्चा का विषय बन गई, जिसमें सड़क किनारे एक छोटा सा ढाबा चलाने वाले कांता प्रसाद रातों रात मशहूर हुए. फूड ब्लॉगर गौरव वासन ने उनका एक वीडियो बनाया था, जिसमें कांता प्रसाद रो-रो कर बता रहे थे कि लोग उनके यहां खाने नहीं आ रहे हैं और उनकी दुकान नहीं चल रही है.

वीडियो वायरल होते ही लोगो कि भीड़ उमड़ पड़ीं और लोगों ने दिल खोलकर डोनेशन दिया. और यह सब गौरव वासन द्वारा शेयर किए गए वीडियो के बाद मुमकिन हुआ था. हालांकि, कुछ ही समय बाद ढाबे के मालिक कांता प्रसाद ने ब्लॉगर के खिलाफ डोनेशन में हेराफेरी का मामला दर्ज कराया. हलाकि गौरव वासन ने आरोपों से इनकार करते हुए अपने बैंक स्टेटमेंट भी दिखाए.

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बंद करना पड़ा रेस्टोरेंट

पिछले साल दिसंबर महीने में बाबा कांता प्रसाद ने अपने ढाबे से कुछ ही दूरी पर एक रेस्टोरेंट खोला था, लेकिन दो महीने के भीतर ही उन्हें ये रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा क्योंकि रेस्टोरेंट में खर्चा ज्यादा था और आमदनी कम हो रही थी.

परिवार के मुताबिक, “रेस्टोरेंट का किराया, कर्मचारियों का वेतन, बिजली, पानी और अन्य खर्च मिला कर करीब 1 लाख महीने की लागत थी, जबकि आमदनी 30-45 हजार थी.” इसलिए उन्हें रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा. अब रेस्टोरेंट के बंद होने के बाद बाबा वापस अपने उसी ढाबे में लौट गए है, जहां से उन्होंने शुरुआत कि थी.

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