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'CCTV, होटल बिल, बैंक डिटेल्स', UP पुलिस पेपर लीक केस में 900 पेज की चार्जशीट में क्या?

UP Police Paper Leak Case: परीक्षा आयोजित करवाने वाली कंपनी EduTest को क्यों किया गया ब्लैक लिस्ट?

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उत्तर प्रदेश पुलिस पेपर लीक मामले (UP Police Paper Leak Case) में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने कथित मास्टरमाइंड रवि अत्री समेत 18 आरोपियों के खिलाफ 900 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. वहीं यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने गुजरात के एडुटेस्ट (EduTest) सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. इस एजेंसी पर ही परीक्षा आयोजित करवाने की जिम्मेदारी थी.

बता दें कि इस साल 17-18 फरवरी को 60 हजार पदों के लिए यूपी पुलिस कॉन्स्टेल भर्ती परीक्षा आयोजित हुई थी.

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चार्जशीट में क्या-क्या?

STF की ओर से दाखिल चार्जशीट में पेपर लीक के कथित मास्टरमाइंड रवि अत्री और राजीव नयन मिश्रा का नाम शामिल है. इसके अलावा लॉजिस्टिक्स कंपनी ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (TCI) के दो कर्मचारी- शिवम गिरी और रोहित पांडे का नाम है. वहीं चार्जशीट में कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी अभिषेक शुक्ला और दिल्ली पुलिस में सिपाही विक्रम पहल का नाम भी शामिल है.

जानकारी के मुताबिक, सभी आरोपियों पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.

पेपर लीक मामले की जांच कर रही यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने राज्य के 41 जिलों में दर्ज 178 FIR में अब तक 400 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. रवि अत्री और राजीव नयन मिश्रा फिलहाल गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद हैं.

60,244 पदों के लिए 43 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी. पेपर लीक की पुष्टि होने के बाद 24 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा रद्द कर दी थी.

क्विंट हिंदी से बातचीत में STF के एक सीनियर अधिकारी ने चार्जशीट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, "रवि अत्री से पूछताछ में हमें, उस जगह की जानकारी मिली जहां से पेपर निकाला गया था, वहां का CCTV फुटेज हमें मिला है. हालांकि, CCTV फुटेज बहुत धुंधला है. बहुत क्लीयर नहीं है."

परीक्षा से 12 दिन पहले गुजरात के अहमदाबाद जिले के एक वेयरहाउस से पेपर लीक हुआ था. यह वेयरहाउस TCI नाम की प्राइवेट लॉजिस्टिक्स कंपनी का था, जिसके पास अहमदाबाद स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस में प्रश्न पत्र छपने के बाद उसे उत्तर प्रदेश ले आने की जिम्मेदारी थी.

इसके साथ ही उन्होंने बताया,

"इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. किसी ने पेपर निकालते नहीं देखा है. पेपर निकालने वाले सभी आरोपी हैं. हालांकि, मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं. आरोपी पास के होटल में रुके थे. जिसका सारा रिकॉर्ड हमारे पास है. रजिस्टर, होटल में एंट्री से लेकर बिल के भुगतान की जानकारी हमारे पास है."

इसके साथ ही उन्होंने बताया, "होटल का एक गवाह मिला है, जिसने आरोपियों की पहचान की है और साथ ही इस बात की पुष्टि भी की है कि आरोपी अहमदाबाद के होटल में रुके थे."

STF ने क्या-क्या सबूत जुटाए?

मामले में STF के पास आरोपियों के ट्रैवल रिकॉर्ड्स भी है. जिसके मुताबिक, आरोपी शुभम मंडल फ्लाइट से पटना से अहमदाबाद गया था.

इसके अलावा STF ने आरोपियों के बैंक अकाउंट्स भी खंगाले हैं. जिसमें कई लेन-देन की जानकारी सामने आई है. STF अधिकारी ने बताया, "आरोपी शिवम गिरी के खाते में राजीव नयन मिश्रा ने पैसा डाला था."

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस पूरे मामले में बड़ी धनराशि की संलिप्तता को देखते हुए इस साल 2 मई को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

STF को हरियाणा के गुरुग्राम जिले के एक रिसॉर्ट की तस्वीर मिली थी, जिसमें 1000 से 1500 अभ्यर्थियों को इकट्ठा कर कथित तौर पर कॉन्स्टेबल भर्ती का प्रश्न पत्र पढ़ाया गया था. STF के सूत्रों के मुताबिक, रिसॉर्ट में आए हर अभ्यर्थी से 7 लाख रुपये की मांग की गई थी जो उन्हें परीक्षा खत्म होने के बाद देना था. इसके एवज में इन अभ्यर्थियों की ओरिजिनल मार्कशीट जमा कर ली गई थी.

STF के सीनियर अधिकारी ने बताया, "कुछ लड़के पेपर पढ़ने गए थे, जो सरकारी गवाह बन गए हैं. हालांकि, वे मामले में आरोपी भी हैं. उनके बयान से पूरा मामला स्थापित हुआ कि रिसॉर्ट में पेपर पढ़ाया गया था."

STF ने रिसॉर्ट का मुयाना किया गया और गवाहों के बयान को सत्यापित भी किया. इस मामले में रिसॉर्ट वाले को भी गिरफ्तार किया गया है.

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Edutest एजेंसी ब्लैक लिस्ट

एडुटेस्ट एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने की पुष्टि करते हुए UPPRPB के निदेशक एवं अध्यक्ष राजीव कृष्ण ने कहा कि भविष्य में किसी भी भर्ती परीक्षा के आयोजन के लिए गुजरात स्थित एजेंसी को ठेका न देने की भी सिफारिश की गई है.

दरअसल, 'गोपनीयता, सटीकता और समय की पाबंदी' सिद्धांतों को मानने वाली एडुटेस्ट एजेंसी पर परीक्षा का प्रश्न पत्र छपवाने और पारदर्शी तरीके से परीक्षा आयोजित करवाने की जिम्मेदारी थी. पेपर लीक होने के बाद कंपनी पर भारी लापरवाही के आरोप लग रहे थे.

STF अधिकारी ने बताया, "एडुटेस्ट के मैनेजमेंट ने लॉजिस्टिक कंपनी के वेयरहाउस का चयन किया. सुरक्षा-व्यस्था भी इन्होंने ही की थी. चूक इनसे ही हुई है क्योंकि जहां से पेपर आउट हुआ, वो एक डार्क एरिया है."

इसके साथ ही उन्होंने बताया, "प्रश्न पत्र भरे बक्से पर साफ-साफ लिखा था कि इसमें हाई कॉन्फिडेंशियल मैटेरियल है. लेकिन उनसे इसकी निगरानी में चूक हुई. कंट्रोल रूम बनाकर वेयरहाउस की सही से निगरानी नहीं की गई. आरोपी खिड़की से वेयर हाउस में घुसे थे और पेपर निकाल लिया था."

वहीं UPPRPB के निदेशक कहा, "बोर्ड परीक्षा की पारदर्शिता और शुचिता बनाए रखने के लिए परीक्षा आयोजित करने के लिए एक नई एजेंसी की तलाश में है और नई एजेंसी फाइनल करने बाद परीक्षा की नई तारीखों की घोषणा की जाएगी."

'एजेंसी के मालिक को भेजा गया चार बार नोटिस'

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एजेंसी के मालिक विनीत आर्य को इस संबंध में चार बार नोटिस भेजा गया है, लेकिन वह पूछताछ के लिए STF टीम के सामने पेश नहीं हुए हैं. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पेपर लीक होने के बाद से आर्य पिछले चार महीनों से अमेरिका में हैं.

STF के सीनियर अधिकारी ने बताया, "एजेंसी का अभी तक किसी गैंग से कोई डायरेक्ट इन्वॉल्मेंट सामने नहीं आया है. वहीं एजेंसी के मालिक से अभी तक इस मामले में पूछताछ नहीं हुई है. बाकी उनके बारे में छानबीन चल रही है."

एजेंसी की वेबसाइट के मुताबिक, एडुटेस्ट साल 1981 से टेस्ट और परीक्षा का आयोजन करवाता आ रहा है.

एजुटेस्ट की शुरुआत एक पेपर-पेंसिल-आधारित सॉल्यूशंस कंपनी के रूप में हुई थी और पिछले कुछ सालों में कंप्यूटर-आधारित परीक्षा सॉल्यूशंस देने वाली कंपनी बन गई. कंपनी ने अब तक 1590 से अधिक क्लाइंट्स के साथ काम किया है और अभी भारत और विदेश में 100 से अधिक प्रमुख क्लाइंट्स के साथ काम कर रहे हैं.

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, हरियाणा SSC, UPSSSC, छत्तीसगढ़ सरकार, पावर ग्रिड, ऑयल इंडिया, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान सहित कई अन्य सरकारी और प्राइवेट क्लाइंट्स हैं.

कंपनी ने अब तक 113 करोड़ परीक्षाएं आयोजित करवाई हैं. 2022 में कंपनी ने UPSSSC-PET की परीक्षा पेपर-पेंसिल मोड में आयोजित करवाई थी. इस परीक्षा के लिए 37 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, जिनमें से 25 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे. इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परीक्षा माना जाता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, STF के एक सूत्र ने बताया, "सरकार इन एजेंसियों को प्रत्येक पेपर के लिए 40 रुपये देती है, जिसमें से 37 रुपये सुरक्षा के लिए हैं. लापरवाही को देखते हुए, फर्म को जवाबदेह ठहराया गया है."

(इस मामले में क्विंट हिंदी ने एडुटेस्ट कंपनी से संपर्क करने की कोशिश की है, उनका जवाब आने पर कॉपी को अपडेट किया जाएगा.)

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