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बाबरी मस्जिद के पक्षकार SC के फैसले को चुनौती नहीं देंगे

हाशिम अंसारी को 1952 में विवादित स्थल में नमाज अदा करने के लिए दो साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे और फैसले को चुनौती देते हुए कोई याचिका दाखिल नहीं करेंगे. इकबाल अंसारी ने कहा कि वह खुश हैं कि मामला अब अपने तार्किक अंजाम तक पहुंच रहा है. अंसारी के पिता हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद मामले में सबसे पुराने वादी थे. उन्होंने कहा,

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लगभग 70 सालों से, अयोध्या में विवाद की वजह से राजनीति हो रही है और मैं उम्मीद करता हूं कि शहर में कुछ विकास होगा.

इकबाल अंसारी ने कहा कि वह अपने पिता द्वारा शुरू की गई लड़ाई और उनके किए गए वादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इकबाल ने कहा, "मेरे पिता की मौत जुलाई 2016 में हुई. वह 95 साल के थे. वह एक दर्जी के रूप में काम करते थे और बाद में फिर साइकिल मरम्मत करने की दुकान खोली. वह बाबरी मस्जिद मामले से 1949 से जुड़े हुए हैं और उनलोगों में शामिल हैं जिन्हें मस्जिद में राम की मूर्ति स्थापित करने के समय सार्वजनिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

हाशिम अंसारी को 1952 में विवादित स्थल में नमाज अदा करने के लिए दो साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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कोर्ट ने 40वें दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया है.आखिरी सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा हिंदू पक्ष की तरफ से जमा दस्तावेज फाड़ दिए जाने की वजह से माहौल गरम रहा. यह पांच जजों की बेंच के सामने किया गया, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे.

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