ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘बंदूकबाज’ नवाजुद्दीन के ‘गेहूं, गन्ना, गन’ वाले दिनों की कहानी

असली गन वाले इलाके से फिल्मी बंदूकबाज तक कैसे पहुंचे नवाजुद्दीन?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी अदाकारी के दम पर बॉलीवुड में अलग मकाम हासिल कर चुके हैं. बाबूमोशाय बंदूकबाज के साथ नवाज एक बार फिर हाजिर हैं. काफी वक्त के बाद नवाज की एक ऐसी फिल्म आई है जो कुछ मायनों में गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैजल की याद दिलाती है. 2012 में फैजल ही वो किरदार था जिसने इंडस्ट्री को इस बेजोड़ अभिनेता का नोटिस लेने को मजबूर किया. आज नवाजुद्दीन सिद्दीकी को ध्यान में रखकर कहानियां लिखी जा रही हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गेहूं, गन्ना, गन वाले नवाज

लेकिन, क्या सब कुछ इतना आसान था? या इतना सीधा? बिल्कुल नहीं. सच पूछा जाए तो आज फिल्मों में बंदूकों से खेलते नवाज कई बार इंटरव्यूज में कह चुके हैं कि वो एक ऐसे शहर से मुंबई पहुंचे, जिसकी पहचान ही तीन चीजों के लिए थी--गेहूं, गन्ना और गन.

मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना कस्बे से है नवाज का ताल्लुक. वो शहर, जहां पहुंचने पर गेहूं और गन्ने के खेत आपको कदम-कदम पर मिल जाएंगे. और यहीं मिलती है वो चीज भी जिसे आप सहूलियत के लिए 'गन' और हकीकत में देसी कट्टे कह सकते हैं.

बीते कुछ सालों में मुजफ्फरनगर में ऐसी कई फैक्ट्रियों में रेड पड़ी है जहां अवैध तरीके से न सिर्फ देसी कट्टे बल्कि राइफलनुमा हथियार तक तैयार किए जा रहे थे. 19 मई 1974 को इसी गेहूं, गन्ने और गन के माहौल के बीच पैदा हुए नवाज.
असली गन वाले इलाके से फिल्मी बंदूकबाज तक कैसे पहुंचे नवाजुद्दीन?
असली ‘गन’ के इलाके से फिल्मी गन तक
(फोटो:यूट्यूब ग्रैब)

नौ भाई-बहनों में सबसे बड़े. पिता खेती-किसानी करते रहे. नवाज भी खेतों की मिट्टी से जुड़े रहे. 12वीं तक की पढ़ाई इसी बुढ़ाना में हुई. कॉलेज में दाखिला लेने का वक्त आया तो पहुंच गए हरिद्वार की गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी. यहां से केमिस्ट्री की पढ़ाई की और फिर गुजरात के बड़ौदा पहुंच गए नौकरी के लिए. नौकरी जमी नहीं क्योंकि कई बार जब कुछ बड़ा हासिल करने की हसरत दिल में कसक बनकर हलचल मचाए हो तो कहां किसी चीज में मन लगता है? नवाज का भी नहीं लगा.

दिल्ली आए. एनएसडी में दाखिला लिया. अपने हिस्से का लंबा-चौड़ा संघर्ष किया. फिर मुंबई की गाड़ी में सवार हो गए. यहां पहुंचे तो संघर्ष पार्ट-2 शुरू हुआ. हिम्मत बस टूटने को थी तो मां की चिट्ठी मिली कि 12 साल में तो कूड़े के दिन भी फिर जाते हैं. लगा कि अभी तो दो-तीन साल का वक्त और है. नए सिरे से मेहनत और किस्मत आजमाई तो एक दिन उनमें रंग भी भर गए. बाकी तो कुछ बताने की जरूरत हैं नहीं.

बीते चंद सालों के नवाजुद्दीन को सब जानते हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर और कहानी से लेकर मांझी और बजरंगी भाईजान तक, हर किरदार जेहन में ताजा लगता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'गेहूं, गन्ना गन' अब फिल्म होगी !

साल 2013 की गर्मियों में ये खबर आई थी कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने भाई के निर्देशन में एक फिल्म करने वाले हैं. फिल्म का नाम 'गेहूं, गन्ना, गन' बताया गया. उस समय चर्चा चली कि नवाज के भाई शम्स भी फिल्ममेकिंग में हाथ आजमाने जा रहे हैं और पहली ही फिल्म में अपने कामयाब और हुनरमंद भाई को लेने का मन बना चुके हैं. हालांकि, इससे पहले शम्स क्राइम पेट्रोल के कुछ एपिसोड्स डायरेक्ट कर चुके हैं. इस फिल्म की कहानी को उत्तर प्रदेश में एक अपराध के इर्द-गिर्द पेश किया जाना था. लेकिन अब तक फिल्म पर्दे पर नहीं आ सकी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नवाज खुद को लगातार मांझ रहे हैं. ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ के साथ उनके खुद के शब्दों में पहली बार स्क्रीन पर रोमांस का मौका मिला है. बाकी बंदूक चलाना तो उनका पुराना शगल रहा ही है ! गेहूं, गन्ने और गन से निकलकर मायानगरी तक पहुंचे इस कलाकार को अभी तो कई पड़ाव पार करने हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×