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दिल्ली में 1 जनवरी 2022 तक पटाखों पर बैन, कोरोना और प्रदूषण की वजह से फैसला

पटाखे से सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन होगा बल्कि एयर पॉल्युशन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनेगा.

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भारत
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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने मंगलवार को दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री और पटाखे फोड़ने पर बैन लगा दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यह बैन 1 जनवरी 2022 तक लागू रहेगा.

आदेश में यह भी कहा गया कि कोरोना के मामलों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है, वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य बीमारियों की बड़ी वजह है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में तारीख 01.01.2022 तक सभी प्रकार के पटाखों को फोड़ने और बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
DPCC ऑर्डर
इसके अलावा DPCC ने जिलाधिकारियों और पुलिस उपायुक्तों को निर्देशों को लागू करने के साथ-साथ हर दिन कार्रवाई की रिपोर्ट डीएम को जमा करने का निर्देश दिया है.
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DPCC के ऑर्डर में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि कोरोना के मामलों में उछाल आ सकता है. समारोह में बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़ने से न केवल लोगों के जमावड़े से सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन होगा बल्कि एयर पॉल्युशन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

देश की उच्चतम अदालत सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि किसी के रोजगार के अधिकार की आड़ में किसी के जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता.

जस्सि एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की एक बेंच ने कहा कि कोर्ट की प्राथमिकता लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है.

हमें रोजगार, बेरोजगारी और नागरिक के जीवन के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा. कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में हम दूसरों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दे सकते. हमारी प्राथमिकता मासूम नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है. अगर हमें लगा कि यह ग्रीन पटाखे हैं और एक्सपर्ट की समिति इन्हें स्वीकार करती है तो हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट

पिछले साल भी लगा था बैन

पिछले साल नवंबर 2020 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 9 नवंबर की मध्यरात्रि से 30 नवंबर की मध्यरात्रि तक दिल्ली-NCR में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उनके उपयोग पर पूरी तरह से बेन लगा दिया था.

एनजीटी ने कथित तौर पर यह भी कहा था कि "पटाखों का जश्न खुशी के लिए है न कि मौतों और बीमारियों का जश्न मनाने के लिए".

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