बैंको के विलय का विरोध और दूसरी मांगों को लेकर पब्लिक सेक्टर के बैंक कर्मचारियों ने मंगलवार को देशभर में हड़ताल की. इस हड़ताल की वजह से सामान्य बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित रहीं.
देश के कई हिस्सों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक पब्लिक सेक्टर की बैंक शाखाओं के साथ प्राइवेट सेक्टर के कुछ पुराने बैंकों में से जमा, निकासी, चैक क्लियरिंग, NEFT और RTGS लेन देन प्रभावित हुए. हालांकि, ICICI बैंक, HDFC बैंक और एक्सिस बैंक जैसे नई पीढ़ी के बैंकों की शाखाओं में कामकाज सामान्य रहे.
कहां-कहां देखा गया असर?
हड़ताल का असर मुंबई, कोलकाता, पटना, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, अहमदाबाद, पुणे और जयपुर जैसे बड़े कारोबारी शहरों पर हड़ताल का असर देखा गया. वहीं कुछ छोटे शहरों में ATM में कैश नदारद रही.
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) पहले ही कस्टमर्स को ये जानकारी दे चुका था कि एक दिन की हड़ताल से बैंक शाखाओं में कामकाज प्रभावित हो सकता है. आईबीए ने बैंकों से हड़ताल के प्रभाव को कम करने के लिये कदम उठाने को कहा था.
किसने बुलाया था हड़ताल?
हडताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन (UFBU) के नेतृत्व में कई यूनियनों ने किया था. UFBU बैंकिग क्षेत्र के 9 यूनियनों का शीर्ष संगठन है. इसमें आल इंडिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC), आल इंडिया बैंक एंप्लायज एसोसिएशन (AIBEA) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW) शामिल हैं.
क्या है मांग?
बैंक कर्मचारियों की ये हड़ताल बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ है. बैंक यूनियनों की मांग है कि बैंकों में सभी पदों पर भर्ती की जाये और बैंकों में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां भी की जायें.
- AIBEA के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि सरकार बैंकों के ऐसे समय विलय की बात कर रही है जब भारत को और बैंकिंग सेवाओं की जरुरत है. उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय से बैंक शाखाएं बंद होगी जैसा कि एसोसिएट बैंकों के विलय के बाद एसबीआई के मामले में हो रहा है. विलय से बड़े बैंकों के गठन से बैंकों के लिये जोखिम बढ़ेगा.
- AIBOC के महासचिव डी टी फ्रांको ने मांग की कि सरकार को बैंक कर्मचारियों के लिये ग्रेच्युटी सीमा बढ़ाकर तत्काल 20 लाख रुपये करने चाहिए.
- NOBW के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने कई घंटे अतिरिक्त काम किया है और उन्हें इसके लिए 'ओवरटाइम ' दिया जाना चाहिये.
बता दें कि देश के पूरे बैंकिंग कारोबार में 21 पब्लिक बैंकों की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
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