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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक भैरोंसिंह राठौड़ का निधन

1971 Indo-Pak war: लोंगेवाला पर बनी चर्चित फिल्म में भैरोंसिंह का किरदार सुनील शेट्टी ने निभाया था.

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राजस्थान की लोंगेवाला चौकी पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India-Pakistan War) में अदम्य साहस और असाधारण वीरता दिखाने वाले सीमा सुरक्षा बल (BSF) के पूर्व जवान (सैनिक) भैरों सिंह राठौड़ का सोमवार, 19 दिसंबर को जोधपुर में निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. उनके निधन की सूचना सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक ट्वीट करके दी.

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भैरों सिंह राठौड़ (Bhairon Singh Rathore) ने आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में आखिरी सांस ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओं ने दिवंगत भैरोंसिंह राठौड़ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी संवेदनाएं व्यक्त की है. लोंगेवाला पर बनी चर्चित फिल्म में भैरोंसिंह का किरदार सुनील शेट्टी ने निभाया था. हालांकि इस फिल्म में भैरोंसिंह का इस युद्ध में शहीद होना दिखाया गया था.

2020 में बीएसएफ का यह जवान मीडिया के सामने आया था और उन्होंने युद्धगाथा का अनुभव साझा किया था.

भैरों सिंह ने बताया था कि, 1971 जब भारत-पाक के बीच युद्ध छिड़ चुका था. उस समय बीएसएफ की 14 बटालियन की डी कंपनी को तीसरे नंबर की प्लाटून लोंगेवाला पर तैनात थी. बीएसएफ की हमारी कंपनी को दूसरी पोस्ट पर भेज दिया गया. लेकिन मुझे पंजाब बटालियन के गाइड के तौर पर लोंगेवाला पोस्ट पर तैनाती के आदेश मिले. आर्मी की 23 पंजाब की एक कंपनी ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में लोंगेवाला का जिम्मा संभाल लिया था.

अपने इंटरव्यू में भैरों सिंह बताते है कि रात के करीब 2 बजे पाक सेना ने टैंक से गोले बरसाने शुरू कर दिए. दोनों देशों की सेनाओं के बीच घमासान लड़ाई छिड़ चुकी थी. इस बीच एलएमजी से गोलियां दाग रहा एक सैनिक घायल हो गया. मैंने समय गवाएं बिना एलएमजी संभाल ली और लगातार 7 घंटे तक फायरिंग करता रहा. सूरज निकलने के साथ ही वायुसेना के विमान आ चुके थे. विमानों से भयंकर बमबारी की जिसमें पाक को भारी नुकसान हुआ. अंततः पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा.

1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध को 52 साल पूरे हो चुके हैं. इस युद्ध में भारतीय सेना के 120 जवानों ने पश्चिमी राजस्थान में थार के धोरों में स्थित जैसलमेर के लोंगेवाला में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. यह युद्ध आर्मी ने लड़ा था, लेकिन बीएसएफ के जवान भैरोंसिंह ने इस युद्ध को जिताने में अहम भूमिका निभाई थी. भैरोंसिंह ने जोधपुर के शेरगढ़ स्थित एक गांव के रहने वाले थे. भैरोंसिंह का एक अंतिम ​वीडियो बीएसएफ ने साझा किया है. जिसमें वे पूरी य़ुद्धगाथा को बता रहे है.

(इनपुट-पंकज सोनी)

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