महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) की पुण्यतिथि पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) दो फाड़ हो गई है. टिकैत से अलग होकर कुछ किसान नेताओं ने "भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक)" बना लिया है, जिसके अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान बने हैं.
इन लोगों का कहना है कि यह निर्णय किसान आंदोलन में आए भटकाव के चलते लिया गया है. किसान नेताओं ने टिकैत भाइयों पर 'राजनीति करने' और 'राजनीतिक दलों के हित में काम करने' का आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर यूपी की राजधानी लखनऊ में किसान नेताओं का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जहां पर विवाद हुआ और BKU दो धड़े में बंट गई.
"BKU पर चंद लोगों के छोड़ने का कोई प्रभाव नही पड़ेगा"
मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत ने इस राजनीतिक विकास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ लोगों के विचार नहीं मिले और वे छोड़ कर चले गए. उन्होंने नया दूसरा संगठन बनाया है. राकेश टिकैत ने नए संगठन को बधाई देते हुए कहा कि यह सब सरकार के इशारे पर हो रहा है.
"हमारा संगठन भारतीय किसान यूनियन है, जिसके राष्टीय अध्यक्ष नरेश टिकैत हैं. संगठन पर चंद लोगों के छोड़ने का कोई प्रभाव नही पड़ेगा."राकेश टिकैत
टिकैत ने कहा कि जिनकी विचारधारा अलग हो जाती है, तो वो अलग विचारधारा में जाता है. जो लोग 35 साल से यहीं थे, वो भी नए संगठन में चले गए. टिकैत ने आगे कहा, "जिस तरह से 13 महीने बाद बिल का समर्थन कर रहे हैं, तो इसमें राजनीति लगती है. हम सरकारों की खराब पॉलिसी के खिलाफ काम करते हैं, किसी विशेष दल के लिए नहीं."
राकेश टिकैत ने कहा कि उन्हें संगठन छोड़ने का दुख रहेगा.
राकेश टिकैत ने किया था किसान आंदोलन का नेतृत्व
किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार द्वारा लाये कृषि कानून का विरोध किया था. राकेश टिकैत के नेतृत्व में ही यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा किसानों का आंदोलन चला, जो केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून के वापस होने के बाद ही खत्म हुआ.
किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत सबसे बड़े किसान नेता बनकर उभरे. खासकर जब उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर रोते हुए कहा था कि बीजेपी सरकार उनकी हत्या करवाना चाहती है, तो उस एक खबर ने कमजोर पड़े किसान आंदोलन में फिर से जान फूंक दी थी.
किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में राकेश टिकैत ने पूरे देश में सरकार के खिलाफ जनसभाएं कीं और कानून के खिलाफ किसानों को लामबंद किया.
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