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भीमा कोरेगांव केस:SC ने कहा, पक्के सबूत नहीं मिले तो रद्द होगा केस

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार हुए 5 वामपंथी विचारकों पर की है सुनवाई

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने कोर्ट में और सबूत पेश करने के लिए वक्त मांगा है, जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में 19 जुलाई को सुनवाई होगी. हालांकि तब तक गिरफ्तार किए पांचों वामपंथी विचारकों को नजरबंद रहना होगा.

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अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने कहा है कि सरकार को अपनी बात और सबूत पेश करने के लिए 20 मिनट और पीड़ित पक्ष को 10 मिनट मिलेंगे. चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम सभी सबूतों को देखेंगे और फैसला लेंगे. अगर संतुष्ट नहीं हुए तो मामला रद्द भी हो सकता है.

उधर, याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की जांच एसआईटी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की.

हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था.

भीमा कोरेगांव गिरफ्तारी केसः क्या है मामला

भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीती 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था.

इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई तक हिरासत में लिये गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा है.

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