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कोरेगांव हिंसा से महाराष्‍ट्र में पसरा तनाव, सियासत गरमाई

200 साल पहले हुए भीमा-कोरेगांव युद्ध के जश्न पर पुणे में हुई हिंसा, इसकी लपटें मुंबई तक पहुंच चुकी हैं.

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  • कोरेगांव युद्ध पर पुणे में हिंसा, मुंबई तक पहुंची आंच
  • राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला
  • मुंबई में 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया
  • 1 जनवरी को पुणे के कोरेगांव से फैली थी हिंसा
  • 200 साल पहले भीमा-कोरेगांव युद्ध के जश्न पर मचा है विवाद
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200 साल पहले हुए भीमा-कोरेगांव युद्ध के जश्न पर पुणे में हिंसा हुई, जिसकी लपटें मुंबई तक पहुंच गई हैं. मुंबई के कई इलाकों से तोड़फोड़ की खबरें सामने आई हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में बीजेपी पर जमकर हमला बोला है.

राहुल ने कहा है कि RSS/BJP की फासिस्ट विचारधारा ये चाहती है कि दलित, भारतीय समाज में हमेशा निचले स्तर पर ही रहें. उन्होंने ऊना केस, रोहित वेमुला केस का भी जिक्र किया है.

मुंबई में 100 से ज्यादा लोग हिरासत में

हिंसा को बढ़ता देख मुंबई के अलग-अलग इलाकों से पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. वहीं मुंबई के कई इलाकों में भारी जाम लगा हुआ है. मुंबई पुलिस ने साफ किया है कि चेंबूर में धारा 144 लागू नहीं की गई है.

दलित संगठनों का विरोध प्रदर्शन

इससे पहले मुंबई के उपनगरीय इलाके से हिंसा की खबरें आई. मुलुंड, चेंबूर, घाटकोपर और सायन में दलित समर्थकों ने दुकानें बंद कराई और रास्तों को जाम करने की कोशिश की. हालांकि पुलिस का कहना है कि हालात पूरी तरह नियंत्रण में है. सड़कों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद है. 8 दलित संगठनों ने हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. मुंबई के ठाणे में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है.

  • RPI के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया 

    फोटो: ANI

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सीएम ने दिया जांच का आश्वासन

मुख्यमंत्री फड़नवीस ने कहा है कि कोरेगांव हिंसा के मामले की न्यायिक जांच के लिए आयोग का गठन किया जाएगा. साथ ही युवक की मौत की सीआईडी जांच की जाएगी. इसके साथ ही पीड़ित को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

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क्या हुआ था कोरेगांव में, जिससे फैली हिंसा?

साल 1818 भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता ब्रिटिश जीत का जश्न नहीं मनाते हैं. बल्कि उन सैनिकों की बहादुरी का जश्न मनाते हैं जो ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से लड़े थे. ये सारे सैनिक महार रेजीमेंट के सैनिक थे जो दलित समुदाय के थे. इन्होंने संख्या में बहुत ज्यादा बड़ी पेशवा की सेना को हरा दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी को दलित समुदाय के लोग इस दिन को शौर्य दिवस के तौर पर मनाने के लिए युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे. इसी दौरान ग्रामीणों और शौर्य दिवस मनाने पहुंचे लोगों में भिड़ंत हो गई. इस दौरान दोनों ओर से जमकर पथराव, तोड़फोड़ और मारपीट हुई.

इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई. मृतक की पहचान पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर सानसवाड़ी के रहने वाले राहुल पटांगले के रूप में हुई है. शिकारपुर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है. दोनों पक्षों की ओर से हुए पथराव में करीब 40 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं, जबकि 10 वाहनों को भीड़ ने पुणे-अहमदाबाद हाइवे पर आग के हवाले कर दिया.

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