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क्विंट EXCLUSIVE: क्या भोपाल एनकाउंटर की जांच फिक्स है?

द क्विंट एक्सक्लूसिव INVESTIGATION: ऑडियो इंटरव्यू में सुनिए भोपाल एनकाउंटर की जांच का सच?

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30-31 अक्टूबर की रात, सिमी के 8 कैदी भोपाल सेंट्रल जेल तोड़ कर भाग जाते हैं. 8 घंटे बाद सेंट्रल जेल से 13-14 किलोमीटर दूर अचारपुरा और खेजड़ादेव गांव के पास इन कैदियों का भोपाल पुलिस और एटीएस एनकाउंटर कर देती है.

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी देते हैं, और देर शाम पुलिस की थ्योरी की सामने आई.

सजा देने में सालों लग जाते हैं, चिकन बिरयानी खाते रहते हैं और मोटे होकर फिर निकलें और वारदात करें, अरे, आखिर में भ्रष्टाचार के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जा सकते हैं तो आतंकियों को सजा देने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट क्यों नहीं बनाए जा सकते. 
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश (1 नवंबर 2016 को दिया गया बयान)

लेकिन इस पूरी घटना का दूसरा पहलू ये भी है कि भोपाल में 30-31 अक्टूबर की रात जो हुआ उसपर देश की राय बंटी हुई है. एनकाउंटर पर कई सवाल उठ रहे हैं और इन्ही सवालों के जवाब तलाशने द क्विंट भोपाल पहुंचा.

स्नैपशॉट

भोपाल एनकाउंटर का सच क्या है?

  • जेल से कैसे भागे सिमी के 8 कैदी?
  • उस रात जेल में सुरक्षाकर्मी कम क्यों थे?
  • आखिर सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे?
  • और अब स्टेट लेवल की इनवेस्टिगेशन में क्या सामने आने वाला है?

द क्विंट एक्सक्लूसिव INVESTIGATION

जगह- भोपाल सेंट्रल जेल, वक्त- दिन के तकरीबन 11 बजे

जेलब्रेक के 6 दिन बाद, सेंट्रल जेल की रंगत बदल चुकी थी, सुरक्षा चाक-चौबंद और अधिकारियों का आना-जाना जारी था. सिमी के 8 कैदी भोपाल सेंट्रल जेल से कैसे भागे इसकी जांच राज्य स्तर पर चार विभाग कर रहे हैं.

  1. 1. जेल प्रशासन
  2. 2. स्टेट ATS
  3. 3. सीआईडी
  4. 4. पूर्व डीजीपी नंदन दुबे
  5. 5. इनके अलावा रिटायर्ड जस्टिस एसके पांडे जेलब्रेक और एनकाउंटर की जांच करेंगे

लेकिन इन सबके बावजूद दिल्ली से लेकर भोपाल तक विपक्षी दलों की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से भोपाल एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की है.

ऐसा क्यों?

क्या 4 राज्य स्तर की जांच, एक ज्यूडिशियल जांच से भोपाल में 30-31 अक्टूबर की रात हुए जेलब्रेक की पूरी कहानी बयां नहीं कर पाएगी? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए मैं जांचकर्ताओं से मिलने लगा, ये जानने की कोशिश में कि आखिर उनकी जांच किस ओर चल रही है, अबतक की जांच में किसी नई बात की पुष्टि हुई है क्या?

और फिर मेरी मुलाकात हुई एक सीनियर जांचकर्ता से, मेरे पास कई सवाल थे और उनके पास जवाब.

नोट- हमारे पास इस बातचीत का पूरा ऑडियो मौजूद है और इस स्टोरी में बातचीत के कुछ अंश शामिल किए गए हैं. आवाज में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. जांच अधिकारी से मेरी मुलाकात भोपाल सेंट्रल जेल में हुई.

पहला खुलासा- ब्लॉक B में सिर्फ 2 संतरी

सवाल: आप लोगों की इनवेस्टिगेशन अभी तक कहां पहुंची है? उस रात के बारे में अगर कुछ बताएं...

जेलब्रेक की जांच कर रहा अधिकारी (ऑडियो)- क्या जानना चाहते हैं आप? जेल में भागते वक्त दो संतरी थे, एक को बांध दिया दूसरा विरोध कर रहा था, उन्होंने समझाया हवलदार नहीं माना, ईमानदार था. लड़ता रहा, प्लानिंग थी कोई रोकेगा तो मार देंगे, दीपावली का दिन था सुरक्षा थी नहीं जवान कम थे. वो अंदर और दो दीवार कूद कर भागे

एक ISO सर्टिफाइड जेल, ब्लॉक B में सिमी के तकरीबन 21 कैदी, कैदियों और जेल प्रशासन की दोस्ती, अगर वो 'खूंखार' थे जो जेल इतनी मेहरबान क्यों थी? लेकिन फिर भी ब्लॉक B में 30 अक्टूबर की रात सिर्फ 2 पुलिसकर्मी?

ये सब वाकई चौंकाने वाला था. बातचीत में ऑफिसर ने हमें बताया कि दरअसल जेल के अंदर उस रात ब्लॉक -बी जहां सिमी के कैदियों को रखा गया था, वहां सिर्फ 2 जेल सुरक्षाकर्मी थे.

जांच अधिकारी (ऑडियो)- जेल के अंदर खौफ था उन लोगों का, सीधी सी बात थी, डरते थे संतरी, लॉकअप में बंद नहीं होते थे, अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देते थे, बेचारा छोटा कर्मचारी क्या करेगा. सही मौका देखा उन्होंने , सबसे बड़ी कमी है बल की, बल था ही नहीं, पूरी लापरवाही जेल प्रशासन की है. प्रहरी को मारा भी इसलिए कि मालूम चल गया कि जेल में उस वक्त सिर्फ दो प्रहरी थे. इतने साल से बंद थे वो जेल में तो ये तो देख सुन ही रहे होंगे. पता चल जाता है न.

दूसरा खुलासा- ‘जांच की दिशा तय हो चुकी है’

जिस अधिकारी से मेरी बात हुई है वो जेलब्रेक की जांच कर रही टीम के सीनियर अधिकारी हैं.

सवाल: क्या जेल के अंदर कुछ ऐसा हुआ है जिसे आप हमें नहीं बताना चाहते? जब आप लोग की जांच पूरी होगी और रिपोर्ट आएगी तो फिर से ये मामला तूल पकड़ेगा

जांच अधिकारी (ऑडियो)- अरे ये तो सीधी सी बात है कि ये जेल की लापरवाही है. ऐसा नहीं है कि हमने कभी जेल प्रशासन को बताया नहीं, हम बोल चुके थे कि इन लोगों को हल्के में मत लो. जेलवालों ने सोचा हमारी जेल आईएसो है, हाई सिक्योरिटी है. ये भाग नहीं पाएंगे. करप्शन तो आतंकवाद से भी बड़ा मुद्दा है आज दुनिया में. किसी के अंदर ईमानदारी नहीं है.

ऑफ रिकॉर्ड मुझे ये भी बताया गया कि ऊपर से ऑडर्र हैं कि एनकाउंटर की जांच में सिर्फ जेल प्रशासन की लापरवाही साबित करनी है, जिस अधिकारी से मैंने बात की उसने मुझसे कहा, अगर मेरे डिपार्टमेंट को ये निर्देश मिला है तो दूसरे विभाग के अधिकारियों को भी इसी दिशा में जांच करने के आदेश मिले होंगे. इनवेस्टिगेशन के दौरान मैंने प्रशासन के कई और लोगों से भी बात की, और उनकी बातों में भी इस बात जिक्र था कि जेल के अंदर क्या हुआ इसपर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है. इनमें से कुछ सस्पेंड हुए अधिकारी भी थे और कुछ अहम पदों पर बैठे राज्य स्तर के अधिकारी हैं.

तीसरा खुलासा- ‘कैदियों को रातभर खुला छोड़ दिया’

हैरानी की बात थी कि जांच अधिकारी इस बात की पुष्टि कर रहे थे 30-31 अक्टूबर की रात, जेल में सुरक्षाकर्मियों की भारी कमी थी, कैदियों के साथ दोस्ताना व्यवहार की वजह से उनके सेल में ताले तक नहीं लगाए गए. दीपावली का खुमार था और लापरवाही अपने चरम पर थी.

जांच अधिकारी (ऑडियो) मैं बता रहा हूं न , मैंने एक एक स्पॉट देखा है, वो बहुत ही नैचुरली भागे थे. सब संभव था सब उनकी प्लानिंग थी, जेल में रहते-रहते दोस्ताना व्यवहार हो जाता है, जेल स्टाफ आपको खाना खिला रहे हैं, अच्छे से बात करता है, लॉक नहीं लगाना चाहिए, सीधी- सीधी सी बात है कि वो लोग इसका फायदा उठा गए.

चौथा खुलासा: ‘आराम से 7 मिनट में फरार हुए 8 कैदी’

अगर हम जांचकर्ता अधिकारी जिससे हमारी बातचीत का ऑडियो आप सुन सकते हैं कि बातों के मुताबिक चलें तो 3 लेवल सिक्योरिटी वाली जेल से भागना बेहद ही आसान था. मामले की जांच कर रहे अधिकारी अागे बताते हैं कि...

बता तो दिया, भागना भी असंभव नहीं, जिस स्कीम से वो गए हमने वही स्कीम अपनाई, 7-8 मिनट में वो भाग गए. अरे ताले लगे ही नहीं थे.

पांचवा खुलासा: ‘सीढ़ी से दीवार फांद कर भागे 8 कैदी’

अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कैदियों से जेल प्रशासन डरता था? क्या वो सच में बेडशीट की रस्सी बनाकर जेल से भागे थे?

जांच अधिकारी (ऑडियो) मैं बता रहा हूं न , मैंने एक एक स्पॉट देखा है, वो बहुत ही नैचुरली भागे थे. सब संभव था सब उनकी प्लानिंग थी, जेल में रहते-रहते दोस्ताना व्यवहार हो जाता है, जेल स्टाफ आपको खाना खिला रहे हैं, अच्छे से बात करता है, लॉक नहीं लगाना चाहिए, सीधी- सीधी सी बात है कि वो लोग इसका फायदा उठा गए, दीवार का हमने ट्रायल कर के देख लिया सात मिनट के अंदर हमारे आठ लोग भाग गए, ट्रायल कर के देख लिया.अपने लोगों को चढ़ा कर देखा, दरअसल अंदर में एक दीवार थी वो कैदी उसपर चढ़ गए. और क्या है कि अंदर से बाहर उंचाई कम हो जाती है, उन्होंने सीढ़ी का इस्तेमाल किया, अंदर अमरुद की लकड़ी, और लकड़ी तोड़ तोड़ कर रखते रहे. ये जेल वालों की लापरवाही है उन्होंने कभी बैरक चेक ही नहीं किया. सीधी बात है अब जांच में यही सामने आएगा, फिर बाहर जाते वक्त एक संतरी ने देख लिया तो वो पता भी चल गया. लेकिन अगर नहीं देखा होता तो वो हाथ थोड़े ही न आते.

बातचीत के आधार पर ये कहा जा सकता है कि राज्य सरकार की अलग-अलग जांच में कोई नई कहानी सामने नहीं आने वाली, क्योंकि एनकाउंटर के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो कहा था, घटना के बाद 6-7 दिन बाद जांच अधिकारी की बातों में भी वही अक्स दिखा.

ये दुर्दांत आतंकवादी थे, ये मारे गए, पता नहीं बाहर जाकर क्या कहर बरपाते, अगर निकल जाते, लेकिन इनके लिए आसमान सर पर उठाने की कोशिश हो रही है.
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
एनकाउंटर के वक्त उनका उग्र व्यवहार वैसा ही था वहां भी, उनके प्वाइंट वही थे. शहादत की बात करते थे. साफ है न, ऐसी स्थिती में उनका जीवित रहना ठीक नहीं था.
जेलब्रेक की जांच कर रहे अधिकारी का ऑडियो क्लिप

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