बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुए बवाल और लाठीचार्ज की जांच पूरी हो चुकी है. वाराणसी के कमिश्नर ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. चीफ सेकेट्ररी को सौंपी गई इस रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन को बवाल बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताया गया है.
कमिश्नर नितिन गोकर्ण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संवेदनशील मुद्दे पर बीएचयू प्रशासन ने न तो पीड़ित की शिकायत पर सही कार्रवाई की और न ही हालात सही से संभाला.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता. रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे मामले में सबसे बड़ा दोष प्रशासन का ही है, वो चाहते तो यह मामला आराम से निपट सकता था.
न्यायिक जांच के आदेश
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि यूनिवर्सिटी में बाहर से लोगों ने आकर वहां के माहौल को खराब करने की कोशिश की. न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ये ही नहीं, कैंपस में सीसीटीवी लगाने के आदेश भी दिए गए हैं.
छात्राओं पर लाठीचार्ज नहीं: बीएचयू कुलपति
इधर, बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना का खंडन किया है.
उन्होंने कहा कि किसी भी छात्रा पर लाठीचार्ज नहीं हुआ. कार्रवाई उन छात्राओं पर की गई है जो यूनिवर्सिटी की संपत्ति को आग लगा रहे थे, पेट्रोल बम फेंक रहे थे और पत्थरबाजी कर रहे थे.
कुलपति के मुताबिक, किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसका एक भी प्रमाण नहीं है.
क्या है मामला?
बीएचयू में विवाद छात्राओं की सुरक्षा को लेकर शुरू हुआ. 21 सितंबर को आर्ट्स की एक छात्रा से कैंपस में छेड़छाड़ हुई थी. छात्रा की शिकायत के बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इसके बाद, 22 सितंबर को छात्राओं ने यूनिवर्सिटी कैंपस में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. 23 सितंबर को कुलपति आवास का घेराव करने जा रही छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
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