ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार: 'सृजन स्कैम' में फरार रजनी प्रिया को CBI ने किया अरेस्ट, क्या है पूरा केस?

Srijan Scam: CBI कोर्ट ने रजनी प्रिया को 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बिहार (Bihar) के भागलपुर इलाके से जुड़े एक NGO से संबंधित एक हजार करोड़ के 'सृजन घोटाला' मामले में फरार मुख्य आरोपी रजनी प्रिया (Rajni Priya) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 10 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उनकी पटना सिविल कोर्ट के सीबीआई कोर्ट में पेशी हुई. कोर्ट ने उन्हें 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

रजनी NGO सृजन महिला विकास सहयोग समिति (SMVSS) की सचिव थीं. रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने उनको उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
यह घोटाला 2017 में NGO संस्थापक मनोरमा देवी की मौत के बाद सामने आया था. CBI ने रिकॉर्ड में हेराफेरी करके NGO द्वारा सरकारी धन के करीब एक हजार करोड़ रुपए के दुरुपयोग के आरोप में 24 मामले दर्ज किए थे.

CBI ने 2017 में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के नेतृत्व वाली तत्कालीन बिहार सरकार की गुजारिश पर इन मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली थी.

'सृजन घोटाला' क्या है?

सृजन महिला सहयोग समिति एक गैर सरकारी संगठन है, जिसके खातों में 2004 और 2014 के बीच कथित तौर पर बड़ी मात्रा में सरकारी धन धोखाधड़ी से ट्रांसफर किया गया था. संगठन का कार्यालय बिहार के भागलपुर जिले के सबौर ब्लॉक में स्थित है.

Srijan Scam: CBI कोर्ट ने रजनी प्रिया को 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

इस घोटाले में आरोप लगा था कि NGO के अधिकारियों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके सरकारी धन को अपने खातों में ट्रांसफर करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), इंडियन बैंक (IB), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) सहित कई बैंकों के अधिकारियों के साथ साजिश रची थी.

NGO संस्थापक की बहू रजनी प्रिया कथित तौर पर जांच की शुरुआत से ही फरार चल रही थीं. नवंबर 2022 में CBI ने प्रिया को भगोड़ा घोषित कर दिया था.

घोटाले में कितने लोग आरोपी बनाए गए?

28 जून 2020 को CBI ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें SMVSS की संस्थापक सचिव मनोरमा देवी (दिवंगत), उनके बेटे अमित कुमार और उनकी पत्नी रजनी प्रिया, प्रबंधक सरिता झा, निदेशक सुभा लक्ष्मी झा के अलावा तत्कालीन मुख्य प्रबंधकों, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक और अन्य अधिकारी को भी शामिल किया गया था.

इस मामले में 27 आरोपियों में से 12 बेउर जेल में बंद थे, उनमें से सात को जमानत मिल गई, जबकि पटना हाईकोर्ट ने चार आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.

(इनपुट- तनवीर आलम)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×