बिहार (Bihar) में मुंगेर (Munger) के हवेली खड़गपुर नगर क्षेत्र के संत टोला निवासी अजय कुमार सा और बेबी देवी का पुत्र दिव्यांग नंदलाल (Nandlal) अपने दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी पैर के सहारे इतिहास रचने की ठान ली है. बचपन में ही उच्च क्षमता के बिजली करंट की चपेट में आने से उसके दोनों हाथ नहीं रहे लेकिन इसके बाद भी हार ना मानते हुए नंदलाल ने अपने पैर से बीए की परीक्षा लिखा. उसका सपना एक आईएस ऑफिसर बनना है.
क्या है पूरी कहानी?
मुंगेर के आरएस कॉलेज में ग्रेजुएशन की परीक्षा चल रही है, इसमें छात्र नंदलाल के हौसले को हर कोई सलाम कर रहा है, उसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है. दिव्यांग नंदलाल हांथ न होने की वजह से दोनों पैर के सहारे एग्जाम लिख रहा है. नंदलाल, हवेली खड़गपुर नगर इलाके के संत टोला का रहने वाला है. वो बीए पार्ट 1 का एग्जाम तारापुर के आरएस कॉलेज में दे रहा है.
नंदलाल के पिता अजय साह एक छोटी दुकान चलाते हैं, गरीबी और दिव्यांगता से लड़ रहा नंदलाल अपने हौसलों के दम पर ही पढ़ाई कर रहा है.
दादा जी ने सिखाया पैर से लिखना
नंदलाल ने बताया कि 2006 में बिजली के करंट लगने के कारण उसके दोनों हाथ कट गए थे. दादाजी ने हिम्मत दिया और पैर से लिखने को सिखाया. उसने 2017 में मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास की थी, इसके बाद तत्कालीन एसडीओ संजीव कुमार ने उसे एक लाख की राशि दी थी.
नंदलाल का सपना आईएएस बनने का है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण काफी समस्या हो रही है. इसके बाद भी वह हिम्मत नहीं हार रहा है.
नंदलाल ने 2019 में इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से पास किया था. उसने 500 में से 325 मार्क्स हासिल किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक वह फिजिक्स में 67, गणित में 60 और कमेस्ट्री में 73 मार्क्स प्राप्त किया था. और अब वर्ष 2022 में ग्रेजुएशन में अर्थशास्त्र की परीक्षा भी पैरों के सहारे ही दे रहा है.
कॉलेज के प्राचार्य उदय शंकर दास ने बताया
दोनों हाथों से दिव्यांग युवक बीए पार्ट वन का एग्जाम दे रहा है और बहुत ही अच्छे तरीके से लिख रहा है. ऐसा लग रहा है कि वह पैर से नहीं बल्कि हाथों से लिख रहा है, जो कि वाक्य उसने लिखे हैं वो काबिल-ए-तारीफ हैं.
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