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BJP न अटल-आडवाणी की थी, न कभी मोदी-शाह की होगीः नितिन गडकरी

नितिन गडकरी ने कहा- ‘राष्ट्रवाद हमारे लिए मुद्दा नहीं, हमारी आत्मा है’

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केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता नितिन गडकरी ने बड़ा बयान दिया है. गडकरी ने कहा कि बीजेपी विचाराधारा पर आधारित पर पार्टी है. यह कभी ‘केवल नरेंद्र मोदी या अमित शाह’ की पार्टी नहीं बन सकती है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह पार्टी न कभी केवल अटल जी की बनी, न कभी अडवाणी जी की और न ही यह कभी केवल अमित शाह या नरेंद्र मोदी की पार्टी बन सकती है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी विचारधारा पर आधारित पार्टी है और यह कहना गलत है कि बीजेपी मोदी-केन्द्रित हो गयी है.’’ गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.

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‘बीजेपी, व्यक्ति केंद्रित पार्टी कभी नहीं हो सकती’

इस सवाल के जवाब में कि क्या बीजेपी में 'इंदिरा इज इंडिया एन्ड इंडिया इज इंदिरा' की तर्ज पर 'मोदी ही बीजेपी और बीजेपी ही मोदी' वाली स्थिति हो गयी है, गडकरी ने कहा-

‘बीजेपी जैसी पार्टी व्यक्ति-केन्द्रित कभी नहीं हो सकती है. यह विचारधारा पर आधारित पार्टी है. हमारी पार्टी में परिवार राज नहीं हो सकता. यह धारणा गलत है कि बीजेपी मोदी केन्द्रित हो गयी है. पार्टी का संसदीय दल है जो सभी अहम फैसले करता है.’

उन्होंने तर्क दिया कि पार्टी और उसका नेता एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा, "पार्टी बहुत मजबूत हो, लेकिन नेता मजबूत नहीं है तो चुनाव नहीं जीता जा सकता है. इसी तरह नेता कितना भी मजबूत हो लेकिन पार्टी मजबूत नहीं होने पर भी काम नहीं चलेगा... हां, यह सही है जो सबसे लोकप्रिय जननेता होता है वह स्वाभाविक रूप से सामने आता ही है.’’

‘राष्ट्रवाद हमारे लिए मुद्दा नहीं, हमारी आत्मा है’

चुनावों में अपनी सरकार के कामकाज और उपलब्धियों के बजाय राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाये जाने के आरोप को खारिज करते हुये उन्होंने कहा-

‘‘चुनाव में जातिवाद और सांप्रदायिकता का जहर घोल कर हमारे विकास के एजेंडे को बदलने की कोशिश विरोधियों ने की है. मुझे यकीन है कि जनता विकास के साथ रहेगी और हम पूर्ण बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाएंगे.’’

गडकरी ने कहा, ‘‘जहां तक राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने की बात है तो यह हमारे लिये मुद्दा नहीं है, यह हमारी आत्मा है. बेहतर शासन-प्रशासन और विकास हमारा मिशन है और समाज में शोषित, पीड़ित और पिछड़ों को केन्द्रबिंदु मानकर उन्हें रोटी- कपड़ा - मकान देना हमारा उद्देश्य है.’’

विपक्ष के इस आरोप पर कि बीजेपी पांच साल की नाकामियां छिपाने के लिए इस तरह के भावनात्मक मुद्दे उठा रही है, गडकरी ने कहा ‘‘हमने इसे मुद्दा कतई नहीं बनाया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर चुनाव में देश की सुरक्षा पर हमेशा चर्चा हुई है.

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‘मीडिया ने बालाकोट सैन्य कार्रवाई पर सवाल उठाकर राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया’

प्रधानमंत्री के भाषणों में पाकिस्तान और सेना का बार-बार जिक्र करने का बचाव करते हुए गडकरी ने कहा-

दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का जवाब भारत को देना पड़ा. ये विषय जब सामने आये तो आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से जुड़े इस विषय पर चर्चा होना स्वाभाविक है. इसलिये राष्ट्रवाद को हमने मुद्दा नहीं बनाया है, बल्कि मीडिया ने बालाकोट सैन्य कार्रवाई पर उठे सवालों को चर्चा में लाकर इसे मुद्दा बना दिया.

‘जितने काम 50 साल में नहीं हुए, वो पांच साल में हुए’

पांच साल में सरकार की उपलब्धियों के सवाल पर गडकरी ने कहा कि मोदी सरकार ने देशहित में राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाईअड्डे, अंतरदेशीय जलमार्ग जैसी बड़ी-बड़ी योजनाएं शुरु कीं. इससे बहुत बड़ा बदलाव दिखा. साथ ही उज्ज्वला योजना से लेकर जनधन, मुद्रा और आयुष्मान योजना तक और फसल बीमा से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना तक सभी के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले. उन्होंने कहा-

‘‘मुझे लगता है कि जितने काम 50 साल में नहीं हुये थे, वे काम पांच साल में होते देख, जनता ने एक मजबूत विकल्प के रूप में इस बार भी हमें चुनने का फैसला कर लिया है.’’

यह पूछे जाने पर कि सरकार की उपलब्धियों का जिक्र होने पर सिर्फ उनके मंत्रालय (सड़क परिवहन, जहाजरानी एवं गंगा) के कामों की ही चर्चा होती है, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, सभी मंत्रालयों में काम हुआ है.

उन्होंने कहा, "मुझे लाभ जरूर मिलता है कि क्योंकि मेरे विभागों के काम दिखते हैं."

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‘आतंकी घटनाओं को खुफिया तंत्र की विफलता नहीं माना जा सकता’

यह पूछे जाने पर कि पुलवामा हमले में खुफिया तंत्र की नाकामी को लेकर व्याप्त भ्रम की स्थिति अब भी बरकरार है और क्या इस बारे में किसी की जिम्मेदारी तय करने के लिए सरकार में कभी कोई चर्चा हुयी, गडकरी ने कहा-

“किसी भी देश में आतंकवादी घटनाओं को खुफिया तंत्र की विफलता के नजरिये से नहीं देखा जाता है. यह लंबी लड़ाई है. अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस सहित तमाम देशों में आतंकवादी घटनायें हुयीं. उन्हें खुफिया तंत्र की विफलता कहना आसान है. खुफिया संगठनों में भी दैवीय व्यवस्था नहीं बल्कि मानवीय व्यवस्था कायम है. इसलिये मुझे लगता है कि यह खुफिया विफलता का मामला नहीं है. जहां तक सरकार में इस पर चर्चा का सवाल है तो ऐसे मुद्दे गोपनीय होते हैं.”

‘नोटबंदी सरकार की बड़ी उपलब्धि’

यह कहे जाने पर कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी को चुनौती दी है कि वह नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों पर चुनाव लड़े और क्या वह मानते हैं कि यह बड़ी उपलब्धियां नहीं है, गडकरी ने जवाब दिया-

“कालेधन के खिलाफ जो बड़े फैसले किये गये, नोटबंदी उनमें से एक था. सच्चाई यह है कि इससे अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आयी है. विदेशों में पैसा जमा करने वाली बात भी इससे खत्म हुयी है.”

यह कहे जाने पर कि कई जानकार लोग मान रहे हैं कि चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने वाला है, गडकरी ने कहा, ‘‘बीजेपी को पिछले चुनाव से ज्यादा सीट मिलेंगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगियों की सीटें भी बढ़ेंगी, जिसके बलबूते बीजेपी सरकार बनायेगी.’’

(इनपुटः PTI)

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