ताइवान के नेशनल डे पर बधाई वाला पोस्टर चीनी दूतावास के सामने लगा दिया गया. ये पोस्टर दिल्ली बीजेपी के नेता तेजिंदर पाल बग्गा की तरफ से लगवाया गया था.पोस्टर में ताइवान के नेशनल डे पर उसे बधाई दी गई थी. चीन-ताइवान के एक दूसरे से रिश्ते बेहद खराब हैं, ऐसे में ये कदम चीन को रास नहीं आ रहा होगा. चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है और अपने एक लेख में चीनी एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि ऐसे कदम 'आग से खेलने' जैसे हैं.
एक स्थानीय नेता के इस कदम पर ग्लोबल टाइम्स का ऐसा मानना है कि भारत वन-चाइना पॉलिसी का सम्मान नहीं कर रहा है. अखबार ने इसे उकसावे वाला कदम बताते हुए कहा है कि ये दोनों देशों के रिश्तों के लिए सही नहीं है.
7 अक्टूबर को चीन ने मीडिया के लिए लिखा था लेटर
बता दें कि 7 अक्टूबर को ही चीनी दूतावास ने भारतीय मीडिया के लिए एक लेटर जारी कर कहा था कि ताइवान को एक देश के रूप में न दिखाएं या साई इंग वेन को ताइवान की राष्ट्रपति न बताएं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में दो टूक कहा था कि भारतीय मीडिया हर तरह से स्वतंत्र हैं.
वहीं ताइवान के एमपी और विदेश मामलों की समिति के सह अध्यक्ष वांग तीन यू ने भारतीयों को शुक्रिया कहा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ताइवान के लोग आपकी भावना और बेखौफ प्रतिबद्धता के आभारी है. उन्होंने लिखा है कि भारतीय उस चीज के लिए खड़े हुए हैं जो सही है.
चीन को ताइवान से क्या दिक्कत है?
दरअसल, ताइवान एक आइलैंड या द्वीप है. चीन ताइवान को एक ऐसा क्षेत्र मानता है जो उससे टूट गया है और किसी दिन उसका चीन में विलय हो जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को एक सॉवरेन देश मानता है. ताइवान को आधिकारिक रूप से रिपब्लिक ऑफ चीन कहा जाता है. ताइवान की मौजूदा राष्ट्रपति साइ इंग-वेन चीन विरोधी नजरिया रखती हैं. जो देश ताइवान को अलग देश की मान्यता देते हैं, उनका चीन से रिश्ता नहीं है. अगर कोई भी देश ताइवान के साथ राजनयिक संबंधों में कोई बड़ा कदम उठाता है तो चीन उसे संदेह की नजरों से देखता है.
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