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इश्क कीजिए, लेकिन शाहरुख-सलमान की इन फिल्मों जैसा नहीं

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कई फिल्में मनचलों की भावनाओं को और भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ती.

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उत्तर प्रदेश में एंटी रोमियो दल की चौकसी तेज है. सड़क पर, स्कूल-कॉलेज के आस-पास और राह चलते छेड़खानी करने वाले मनचलों पर लगाम कसी जा रही है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फिल्में ऐसे मनचलों की भावना को और भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ती.

क्या शाहरुख, क्या सलमान, ज्यादातर सितारों ने ऐसे किरदार निभाए हैं जिनकी फिल्मी 'लवस्टोरी' छेड़खानी, फब्तियां कसने के बाद ही पूरी हो सकी है.

जानते हैं कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में-

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डर, 1993 (शाहरुख खान, जूही चावला, सनी देओल)

'तू हां कर या ना कर तू है मेरी किरण' डर फिल्म का यह गाना काफी मशहूर हुआ था. गाने की लाइन ही साफ कर रही है कि किस हद तक राहुल मेहरा(शाहरुख खान), किरण(जूही चावला) के पीछे पड़ा था. फिल्म में शाहरुख खान ने एक सनकी आशिक का किरदार निभाया था जो जूही चावला का हर जगह पीछा करता था. वहीं जूही, सनी देओल से प्यार करती थी. फिल्म के अंत में शाहरुख की मौत हो जाती है.

फरवरी 2016 में गाजियाबाद में हुई दीप्ति सरना अपहरण कांड में आरोपी ने यह कबूल किया था कि वो डर फिल्म से काफी प्रभावित था. इस फिल्म के इतर शाहरुख खान ने अंजाम फिल्म में भी सनकी आशिक का किरदार निभाया है.

तेरे नाम, 2003 (सलमान खान, भूमिका चावला)

फिल्म में राधे भईया बने सलमान खान के किरदार को कौन भूल सकता है. फिल्म आने के बाद सलमान खान के 'हेयर स्टाइल' को खूब कॉपी किया गया. गली, मोहल्ले चौक-चौराहे पर आपको ऐसे बाल संवारे लड़के अब भी मिल जाएंगे. फिल्म में सलमान कॉलेज छात्र बने है. ऐसा छात्र जो मारपीट और दबंगई में भरोसा रखता है.

फिल्म में राधे भईया (सलमान खान) का दिल निर्झरा(भूमिका चावला) नाम की सीधी सादी लड़की पर आ जाता है. फिर शुरू होता है उसे रोकने-टोकने का सिलसिला जिसे आम भाषा में छेड़खानी कहते हैं. अंत में निर्झरा का दिल राधे मोहन पर आ ही जाता है. संदेश साफ है.

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रांझणा, 2013 (धनुष, सोनम कपूर, अभय देओल)

फिल्म में बनारस के एक लड़के कुंदन(धनुष) की कहानी दिखाई गई है. जिसे एक मुस्लिम लड़की जोया (सोनम कपूर) से प्यार हो जाता है. फिर क्या झूठ बोलकर लड़की फंसाने, हाथ काटने की धमकी देने का सिलसिला शुरू होता है. फिल्म में धनुष को कई बार बीच सड़क पर सोनम कपूर का रास्ता रोकते भी देखा जा सकता है. सोनम कपूर के इकरार नहीं करने के बावजूद धनुष के दोस्त उन्हें भाभी नाम से बुलाने लगते हैं. अब इसे 'लवस्टोरी' किस आधार पर कहा जाए समझ नहीं आता.

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आर राजकुमार, 2013 (शाहिद कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, सोनू सूद)

अब फिल्म में 'आर' का मतलब आप रोमियो से भी निकाल सकते हैं, इस फिल्म में शाहिद कपूर का एक डायलॉग है ‘मेरी लाइफ में सिर्फ दो चीजें हैं- प्यार, प्यार, प्यार या मार मार मार’ इस लाइन से ही आप प्यार और मारकाट के लिए हीरो के जुनून को समझ सकते हैं. फिल्म में शाहिद एक टपोरी की भूमिका में है. जो सोनाक्षी सिन्हा को पाने के लिए तरह-तरह की छिछोरी हरकतें करता है. कभी पीछा करता है तो कभी गुंडागर्दी से इंप्रेस करने की कोशिश करता है. बाद में हिरोइन को ‘छिछोरे’ हीरो से प्यार भी हो जाता है.

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सुल्तान, 2016 (सलमान खान, अनुष्का शर्मा)

बेतहाशा कमाई करने वाली इस फिल्म में सलमान खान को अनुष्का शर्मा से प्यार हो जाता है. अनुष्का शर्मा एक पहलवान होती है जो हर मायने में सलमान से बेहतर हैं. ऐसे में सलमान उन्हें पाने के लिए कभी किसी की शादी में बिना बुलाए जाते दिख रहे हैं तो कभी गाना गाते. हालांकि सलमान की इस फिल्म में सीखने के लिए और भी बहुत कुछ था.

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ऐसी कई और फिल्मे हैं जिनमें यह साफ संदेश है कि अगर आप किसी लड़की का पीछा कर रहे हैं, उसे राह चलते छेड़ रहे हैं तो अंत में आपको वो लड़की मिल ही जाएगी.

फिल्में अगर समाज का आईना है तो उस आईने को साफ करना होगा. आखिर में शोले फिल्म के गाने की एक लाइन पर ध्यान दीजिए- 'कोई हसीना अगर रूठ जाती है तो और भी हसीन हो जाती है'... क्या है इसका मतलब ?

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