यूरोपियन यूनियन से इंग्लैंड का अलग होना तय हो गया है. ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में 2-4 साल लगेंगे लेकिन इसका भारत अच्छा असर नहीं पड़ेगा. आइए आपको सिलसिलेवार ढंग से बताएं कि ब्रिटेन के EU से अलग होने पर भारत पर असर क्या होगा?
ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों का क्या होगा?
- कंपनियों के मुनाफे पर असर ब्रिटेन के अलग होने से यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे.
- कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा.
- ब्रिटेन में बने उत्पाद पर भारतीय कंपनियों को यूरोपीय देशों में टैक्स देना होगा.
- टाटा समूह की जगुआर लैंडरोवर के मुताबिक अलग होने से उसे 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
वीजा नियमों में सख्ती
ब्रिटेन के बाहर होने के बाद वीजा नियम सख्त होंगे जिससे भारतीय कंपनियों के लिए स्टाफ की दिक्कत हो सकती है. वीजा लेकर पढ़ने जाने वाले छात्रों को भी मुश्किल होगी.
करेंसी पर असर- कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी
ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर करेंसी पर भी असर पड़ेगा. ब्रिटेन की करेंसी पाउंड और यूरोप की करेंसी यूरो के झगड़े में दुनिया भर में डॉलर की मांग बढ़ेगी. ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत घटेगी.
ऐसा हुआ तो भारत को कच्चे तेल के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे यानि पेट्रोल और डीजल महंगा होगा.
विदेशी निवेश पर असर
ब्रिटेन उन देशों में है जहां से भारत की कमाई ज्यादा होती है और भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है. भारत ने पूरे यूरोपियन यूनियन में जितना निवेश किया है उससे ज्यादा सिर्फ ब्रिटेन में पैसा लगाया है.
हालांकि अलग होने का समर्थन कर रहे ब्रिटेन के सांसद मानते हैं कि ब्रिटेन के अलग होने पर भारत में निवेश में आसानी होगी क्योंकि यूरोपियन यूनियन को जाने वाला पैसा भारत जैसे एशियाई देशों में आ सकता है.
खुद ब्रिटेन के लिए ये ईयू से निकलना काफी महंगा साबित होगा. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नतीजों का ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर नाटकीय असर हो सकता है
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