ADVERTISEMENTREMOVE AD

केरल के राज्यपाल बोले- राज्यों को लागू करना ही होगा CAA

राज्य सरकार के पास इस कानून को लागू करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

केरल सरकार ने कुछ ही दिन पहले नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. वहीं केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कह दिया कि CAA संघ सूची का विषय है यह कोई राज्य का विषय नहीं है. इसे राज्यों को हर हाल में लागू करना ही होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा-

“राज्य सरकार के पास इस कानून को लागू करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. इसे अनुच्छेद-254 के तहत लागू करना होगा. आप इसे किसी भी कीमत पर लागू करने से इनकार नहीं कर सकते. यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.

एक यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा, "आप अपनी बुद्धि का उपयोग करके तर्क दे सकते हैं, आपको इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है लेकिन नागरिकता अधिनियम संघ सूची का विषय है और राज्य का विषय नहीं है,"

बता देंं, केरल सरकार ने इसी सप्ताह की शुरुआत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. इसे संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की. यह कानून को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार थी और इतना हीं नहीं केरल सरकार सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने वाली भी पहली हीं थी.

केरल के बाद पंजाब ने भी पास किया प्रस्ताव

पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ राज्य विधानसभा में 17 जनवरी को एक प्रस्ताव पेश किया. मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने दो दिवसीय विधानसभा सत्र के दूसरे दिन इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया.

मोहिंद्रा ने इस प्रस्ताव को पढ़ते हुए कहा, ‘‘संसद की ओर से पारित सीएए से देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और इससे लोगों में काफी गुस्सा है. सामाजिक अशांति पैदा हुई है. इस कानून के खिलाफ पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन हुआ जो कि शांतिपूर्ण था और इसमें समाज के सभी तबके के लोगों ने हिस्सा लिया था’’

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बता दें, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का उद्देश्य उन छह अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदू, पारसी, सिखों, बौद्ध, जैन और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करना है, जो मुस्लिम बहुल देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करते हुए 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आए थे. इस अधिनियम को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिली थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×