दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह की एक सभा में जिस युवक की पिटाई हुई थी, उसने अब पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. द इंडियन एक्सप्रेस The Indian Express की खबर के मुताबिक हरजीत सिंह नाम के शख्स ने बताया कि उसने ही अमित शाह की रैली में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध जताया था, जिसपर वहां मौजूद लोगों ने उसकी पिटाई की. हरजीत ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उनसे जबरन यह लिखवाया कि वो दिमागी तौर ठीक नहीं है, अस्थिर है.
दरअसल रविवार को दिल्ली के बाबरपुर इलाके में गृहमंत्री अमित शाह की एक रैली थी. इसी दौरान हरजीत ने नागरिकता कानून के खिलाफ नारे लगाए. हरजीत बताते हैं,
इसी दौरान रैली में मौजूद लोगों ने मुझे पीछे से घसीटकर जमीन पर गिरा दिया. उनमें से कुछ लोगों ने मुझे कुर्सी से पीटा.
हरजीत अपने चोट के दिखाते हुए बताया कि उसने रैली के बीच में ही “CAA वापस लो” के नारे लगाए, लेकिन उसने सोचा नहीं था कि वहां मौजूद लोग इस तरह करेंगे. जब हरजीत को लोग पीट रहे थे जब मंच पर गृह मंत्री अमित शाह भाषण दे रहे थे. इसी दौरान अमित शाह ने कहा. “सिक्योरिटी वाले उसे ले जाइये, उस लड़के को वहां से सलामत ले जाइये.”
हरजीत सिंह को चेहरे, पीठ और टांग पर चोट आई है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले हरजीत का आरोप है कि दिल्ली पुलिस उसे नारा लगाने के बाद थाने ले आई और बिना किसी जुर्म के हवालात में बंद कर दिया.
“मुझे इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि मुझे किस आरोप में बंद किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने मुझे एक पत्र लिखने के लिए कहा, जिसमें मुझे यह लिखना था कि मैं मानसिक रूप से स्थिर नहीं हूं और मुझे पता नहीं है कि मैं क्या कर रहा था. अगर मैं पत्र नहीं लिखता, तो वे मुझे रिहा नहीं करते.
क्या कहना है पुलिस का?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हरजीत के दावों का विरोध करते हुए, पुलिस उपायुक्त (उत्तर पूर्व) वेद प्रकाश सूर्या ने कहा कि उन्होंने उनके साथ लिखित में कुछ भी नहीं लिया है.
सूर्या ने कहा,
“हमने उसे बचाया और पहले उसे अस्पताल ले गए. उसकी एमएलसी रिपोर्ट के बाद, हमने उसकी पहचान को कंफर्म किया. फिर उसके माता-पिता को उसे सौंप दिया.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के बीए सेकंड ईयर में पढ़ने वाले हरजीत राजनीतिक विज्ञान के छात्र हैं. उन्होंने दावा किया कि दर्द और चोट की शिकायत के बावजूद, पुलिस उन्हें सीधे पुलिस स्टेशन ले आई और अस्पताल नहीं ले गई.
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