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PM की ‘AIM’ योजना: दुनिया में चीन के वर्चस्व को टक्कर दे पाएगी?

मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में बेहद खास MSME मंत्रालय की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी है

Published
भारत
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मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में आईटी के क्षेत्र में ग्लोबल रिवॉल्यूशन को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग में ‘नॉलेज और इनोवेशन’ के दायरे को फिर से परिभाषित करने जा रही है. मालदीव की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईटी एक्सपर्ट्स, अधिकारियों और खास कैबिनेट सहयोगियों से चर्चा की.

इस बैठक का मुख्य विषय यह रहा कि चीन के साथ कंपटीशन के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को कैसे गुणात्मक रूप से फिर से परिभाषित किया जाए.

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कुल मिलाकर, सरकार और नीति आयोग का पूरा ध्यान अब भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को गति प्रदान करने पर है. घरेलू मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी की निगाह जल प्रबंधन, कृषि और सुरक्षा मुद्दों पर है और माना जा रहा है कि 15 जून को नीति आयोग की पहली बड़ी बैठक की अध्यक्षता करने के दौरान वह अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा करेंगे.

नीति आयोग की कथित विफलता को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तीखी आलोचना के बीच ऐसा लग रहा है कि सरकार आयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाह रही है जिसमें विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव या इससे ऊपर के स्तर पर इसमें शामिल करना शामिल है.
नीति आयोग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “देश में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) की सफलता है. अगर एआईएम सफल होता है तो देश जल्द ही चीन के विकल्प के रूप में एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा.”

इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट के लिए काम कर रही है मोदी सरकार

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हाल ही में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के संदर्भ में मीडिया से कहा था कि मोदी सरकार कई बड़े आर्थिक सुधारों पर काम कर रही है. इसमें श्रम कानून में बदलाव, निजीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले कदम और नए इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए लैंड बैंक शामिल हैं. जब एक बार सकारात्मक इंडस्ट्रियल माहौल बन जाएगा तब इनोवेशन मिशन मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि को गति देगा.

एडोब, अमेजन, डेल, आईबीएम, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियां पहले से ही अटल इनोवेशन मिशन की साझेदार हैं. एआईएम विश्वस्तरीय इनोवेशन केंद्रों और टेक्नोलॉजी संचालित क्षेत्रों में स्वरोजगार की गतिविधियों को बढ़ावा देने के एक प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर रहा है.
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एआईएम के जरिए सरकार देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में गुणात्मक बदलाव की उम्मीद कर रही है.

पीएम मोदी ने गडकरी को दी है MSME मंत्रालय की जिम्मेदारी

मोदी के पहले कार्यकाल में उनके कैबिनेट मंत्रियों कलराज मिश्र और गिरिराज सिंह एमएसएमई मंत्रालय को चलाने के दौरान व्यापारिक जगत पर अपने कामकाज की छाप नहीं छोड़ सके थे. मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस बेहद खास मंत्रालय की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी है जो समय पर काम को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं.

गडकरी के नजदीकी एक बीजेपी नेता ने बताया, “मोदीजी ने इस प्रोजेक्ट के बारे में गडकरीजी से बात की. वह (गडकरी) इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए पूरी इच्छा से तैयार हैं. मुझे पक्का विश्वास है कि एमएसएमई अब सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से होगा क्योंकि यह सीधे बेरोजगारी की समस्या और तेज औद्योगिक विकास के नहीं होने की समस्या से जूझता है.”

एक अन्य बड़ा बदलाव अटल टिंकरिंग लैब (एएलटी) के रूप में सामने आया है. यह युवा भारतीय सोच में क्रांतिकारी बदलाव लाने की मोदी की लॉन्ग टर्म प्लान है. एएलटी इनोवेशन काम करने की जगहें हैं जहां सरकारी अनुदान की मदद से स्कूलों में थ्री डी प्रिंटर, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकी मौजूद होती हैं. एआईएम के मिशन डॉयरेक्टर आर. रामनन का कहना है कि अगले साल तक देश के स्कूलों में दस हजार एटीएल वर्कप्लेस होंगे और यह इनोवेशन के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन लाएंगे.

बड़े पैमाने के इस एटीएल प्रोजेक्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का मकसद भारत को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्र में विश्व में अगुआ बनाना है जोकि आज आधुनिक समय के उद्योगों को चलाने की धुरी हैं.

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