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अनुसूचित जाति के खिलाफ भारत में लगातार बढ़ रहे अपराध के मामले- NCRB रिपोर्ट

अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के मामले में 9.4% की वृद्धि आई है

Published
भारत
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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 की तुलना में साल 2020 में देश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों के मामलों में उछाल आया है. साल 2020 में कुल 50,291 मामले दर्ज किए गए जो 2019 (45,961 मामलों) की तुलना में 9.4% की वृद्धि दर्शाता है.

सबसे ज्यादा मामले यूपी से

अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों की सूची में सबसे ज्यादा मामले (12,714) उत्तर प्रदेश से आए हैं. वहीं दूसरे स्थान पर 7,368 मामलों के साथ बिहार, तो 7,017 मामलों के साथ राजस्थान तीसरे नंबर पर है और क्रमशः 6,899 और 2,569 मामलों के साथ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र चौथे और पांचवे स्थान पर हैं.

अगर इन आंकड़ों की तुलना पिछले साल से की जाए तो पता चलता है कि शीर्ष पर मौजूद सभी राज्यों में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध में इजाफा ही हुआ है. बता दें कि शीर्ष पांच राज्यों में सबसे ज्यादा वृद्धि चौथे स्थान पर मौजूद मध्य प्रदेश में हुई है और वो है 30.16%. इसके बाद 19.48% की वृद्धि के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर मौजूद है. वहीं अगर बात करें उत्तर प्रदेश की तो वहां पिछले साल के मुकाबले इन मामलों में 7.48% की वृद्धि हुई है.

ध्यान देने वाली बात है कि करीब पूरे देश में पिछले कई सालों से अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती ही रही है जो ये दिखाता है कि इस खास और गरीब वर्ग को टारगेट किया जा रहा है.
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महिलाओं के खिलाफ कम हुए अपराध

अगर महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बात करें तो उनमें कमी आई है. साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए, जबकि साल 2019 में 4,05,326 मामले दर्ज हुए थे. इसका मतलब हुआ कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 8.3% की गिरावट आई है. बता दें कि इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे तेज गिरावट दिखाने वाले राज्यों में से एक है. 2019 में यहां 59,853 केस दर्ज हुए थे जो 2020 में घटकर 49,385 हो गए.

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