ADVERTISEMENTREMOVE AD

सहारनपुर को लगी किसकी नजर: तस्वीरों में देखिए जातीय हिंसा की ‘आग’

इस संघर्ष के बाद भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया, गांव में तनाव बना हुआ है. 

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

यूपी का सहारनपुर जिला जातीय हिंसा की वजह से सुर्खियों में है. क्षत्रिय और दलित समुदाय के लोग आमने-सामने हैं. 5 मई को महाराणा प्रताप की जयंती के मौके पर शोभयात्रा निकाली जा रही थी. उस दौरान सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में दो वर्गों के बीच हिंसा भड़क उठी.

शब्बीरपुर गांव की दलित महिला पर्ली बताती हैं कि किस तरह 5 मई को उनकी आंखों के सामने क्षत्रिय समुदाय के लोगों ने गांव में उपद्रव मचाया. पर्ली ने कहा-

उन लोगों के हाथों में तलवार और बंदूकें थी. वो उसे लहराते हुए ‘अंबेडकर मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे. हमारे घरों को जला दिया. गाड़ियां तोड़ दी और रविदास मंदिर में भी तोड़ फोड़ की.
Post from RICOH THETA. #theta360 - Spherical Image - RICOH THETA

करीब एक महीने के भीतर पश्चिमी यूपी के सहारनपुर जिले में जातीय संघर्ष की कई घटनाएं सामने आईं. कई घर जला दिए गए. गाड़ियां फूंक दी गई . कई लोग घायल हुए और एक शख्स को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.

Post from RICOH THETA. #theta360 - Spherical Image - RICOH THETA
इस संघर्ष के बाद भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया. गांव में तनाव बना हुआ है. सिक्योरिटी फोर्स अभी भी चौकन्ना है.

इसी जातीय संघर्ष में रसूलपुर गांव के बीरम सिंह ने अपने बेटे को खो दिया. इनका 27 साल का बेटा सुमित संघर्ष का शिकार हो गया.

शब्बीरपुर गांव में दलितों के करीब 50 घरों में तोड़फोड़ की गई.

Post from RICOH THETA. #theta360 - Spherical Image - RICOH THETA

शब्बीरपुर गांव की दलित महिला मुनिश देवी बताती हैं कि हमेशा से सब लोग मिलजुल कर रहते आए हैं. शिवरात्रि और रविदास जयंती शांति से मनाई जाती थी. बाहरी लोगों ने आकर क्षत्रिय-दलित को बांट दिया और ये बवाल हुआ.

ये घर पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है. पड़ोसियों ने हमें बताया कि इस घर में रहने वाले लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं.
Post from RICOH THETA. #theta360 - Spherical Image - RICOH THETA

9 मई को बुलाई गई महापंचायत

शब्बीरपुर में 5 मई को हुए बवाल के बाद सहारनपुर के दलितों ने 9 मई को महापंचायत बुलाई. एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद और उनकी भीम आर्मी ने पूरी कम्यूनिटी को एकजुट किया. भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा करना और उनका हक दिलवाना है. ये संगठन सिर्फ 2 साल पुराना है. लेकिन पश्चिमी यूपी में काफी पॉपुलर है

चंद्रशेखर कहते हैं कि उनकी भीम आर्मी हिंसा में विश्वास नहीं करती है. उनके सभी एक्टिविस्ट बाबा साहेब के संविधान को मानते हैं. लेकिन पुलिस का कहना है कि भीम आर्मी के सदस्यों ने ये बवाल किया.

दलित प्रदर्शनकारियों ने सहारनपुर के रामनगर में महाराणा प्रताप की याद में बन रही बिल्डिंग को जला दिया.

9 मई को रामनगर की एक पुलिसचौकी में भी तोड़फोड़ की गई. इस दिन पुलिस और दलितों के बीच झड़प हुई थी.

पुलिस चौकी के बाहर जले हुए डॉक्यूमेंट्स और गाड़ियां, उस दिन के उपद्रव की गवाही दे रहे हैं.

9 मई को भारी तादाद में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई. दूसरे जिलों से भी पुलिस फोर्स को बुलाकर सहारनपुर में तैनात कर दिया गया.

एक क्षत्रिय दुकानदार विनीश कुमार ने आरोप लगाया कि वो जिस हाउसिंग सोसाइटी में रहते हैं, उसमें दलितों ने 9 मई को अटैक किया. इस सबके लिए वो भीम आर्मी को जिम्मेदार बताते हैं.

72 साल के जितेंद्र कुमार चोपड़ा सिक्योरिटी गार्ड हैं. वो सन सिटी रेजिडेंशियल कॉम्पलेक्स में काम करते हैं. इसी सोसाइटी में विनीश रहते हैं. जीतेंद्र कुमार कहते हैं...

उस दिन पत्थर फेंका गया. मेरे दरवाजे को तोड़ दिया गया. प्राईवेट प्रॉपर्टी को क्यों डैमेज किया गया?

भीम आर्मी के ऊपर लग रहे आरोपों पर हमने स्थानीय लोगों से बात की. दलित समुदाय की अनीता देवी कहती हैं कि 9 मई को बवाल होने के बाद भीम आर्मी आई. ठाकुरों ने आकर हमारे घरों में आग लगा दी और पुलिस देखती रही. भीम आर्मी हमारी तरफ है. उसने कुछ गलत नहीं किया.

Post from RICOH THETA. #theta360 - Spherical Image - RICOH THETA
अनीता देवी की 9 साल की बेटी भी उस दिन घर पर मौजूद थी. वह अपनी मां की हर बात सुन रही थी और उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

×
×