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नारद स्टिंग केस में CBI ने की पहली गिरफ्तारी, IPS अफसर गिरफ्तार

IPS अफसर एसएमएच मिर्जा बर्दवान पुलिस अधीक्षक थे, जब स्टिंग ऑपरेशन टेप 2016 में सामने आया था.

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CBI ने नारद स्टिंग केस में गुरुवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा को गिरफ्तार किया. इस मामले से जुड़े ‘‘स्टिंग ऑपरेशन’’ का फुटेज 2016 में सामने आने के बाद से इस सिलसिले में यह पहली गिरफ्तारी है.

मिर्जा को कोलकाता विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 30 सितंबर तक जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.

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‘‘पहले भी हमने, उनसे (मिर्जा से) कई मौकों पर पूछताछ की है. आज, हमने एक और दौर की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. नारद टेप प्रकरण में वह एक मुख्य कड़ी हैं.’’
सीबीआई अफसर

तृणमूल कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों सहित 13 लोगों में आईपीएस अधिकारी मिर्जा भी शामिल हैं, जिन्हें पूछताछ के लिए सीबीआई ने तलब किया और प्रकरण की जांच के सिलसिले में जिनकी आवाज के नमूनों की जांच की गई.

मिर्जा उस वक्त वर्धमान जिले के पुलिस अधीक्षक थे, जब नारद न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुएल्स ने ‘स्टिंग ऑपरेशन’ किया था.

बता दें, साल 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए गए फुटेज में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जैसे दिखने वाले व्यक्ति और मिर्जा एक फर्जी कंपनी को लाभ पहुंचाने के एवज में उसके प्रतिनिधियों से रुपये लेते देखे गये थे.

आईपीएस अधिकारी एक वीडियो क्लिप में एक कारोबारी से कथित तौर पर पांच लाख रुपये नकद लेते दिखे थे. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनकी आवाज के नमूनों का मिलान भी टेप से हो गया.

क्या है पूरा मामला?

नारद न्यूज पोर्टल के संपादक और प्रबंध निदेशक मैथ्यू सैमुअल ने साल 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक स्टिंग वीडियो रिकॉर्ड किया था. इस स्टिंग ऑपरेशन के लिए सैमुअल ने एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के एक दर्जन सांसदों, नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर उनको काम कराने के एवज में पैसे दिए थे.

वीडियो में नजर आने वाले नेताओं में मुकुल रॉय, सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, शुभेंदु अधिकारी, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्र, इकबाल अहमद और फिरहाद हकीम शामिल थे. उनके अलावा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस. एम.एच. अहदम मिर्जा को भी पैसे लेते दिखाया गया था.

इस केस में अब तक क्या हुआ?

उस वक्त विपक्ष ने चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. इसके बावजूद तृणमूल कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली थी. दूसरी ओर, वीडियो को फर्जी और इस पूरे मामले को साजिश करार देने वाली ममता सरकार ने उल्टे मैथ्यू के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उनको पूछताछ के लिए समन भेजा था.

बाद में कोलकाता हाईकोर्ट से मैथ्यू को राहत मिली. फॉरेंसिक जांच में उस वीडियो को सही पाया गया. इसके बाद सीबीआई ने अप्रैल 2017 में कोर्ट के आदेश के बाद एक FIR दर्ज कर ली. इस FIR में टीएमसी के करीब 13 नेताओं के नाम थे. उनमें से कई से पूछताछ भी की गई. फिलहाल, इस मामले में CBI जांच जारी है.

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