CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा से उनके अधिकार वापस लेकर छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीवीसी से अपनी जांच अगले दो हफ्ते में पूरी करने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
वर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार की ओर से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. साथ ही अालोक वर्मा ने एम. नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने आज वर्मा की याचिका पर सुनवाई की.
‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे और जहां भी जरूरी हो, हम कानूनी राय लेंगे.”
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. सरकार चाहती है कि सारे काम सही प्रक्रिया से हो. सीबीआई के दो टॉप अधिकारियों के खिलाफ सीवीसी की जांच चल रही है, इसलिए तब तक उन्हें जिम्मेदारी से हटे रहना चाहिए जिससे जांच प्रभावित न हो.
SC ने बताई वजह, क्यों सिटिंग नहीं रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी जांच?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ CVC जांच के मामले में रिटायर्ड जज की निगरानी का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि ये देश के लिए एक अहम केस है. ये फैसला किसी संवैधानिक या वैधानिक संस्था पर आक्षेप लगाए बिना एक बार के लिए किया गया अपवाद है.