9 महीने से लापता नजीब अहमद का अबतक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. सीबीआई ने कोर्ट से जांच के लिए और समय दिए जाने की मांग की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू के स्टूडेंट नजीब अहमद के लापता होने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी.
सीबीआई की टीम ने कहा है कि वह महज एक महीने से मामले की जांच कर रही है और उसे कुछ और समय चाहिए.
जांच एजेंसी पर सरकार का 'दबाव'
सीबीआई की ओर से और समय मांगने पर जेएनयू के स्टूडेंट यूनियन (JNUSU) ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी मोदी सरकार में 'दबाव' में है. यूनियन अध्यक्ष मोहित कुमार पांडे ने कहा कि सीबीआई जांच के तहत नजीब के बारे में सुराग को लेकर अब तक खाली है.
लापता होने से पहले नजीब पर हमले को लेकर जांच में उदासीनता दबाव को दिखाता है. मोदी सरकार के तहत दिल्ली पुलिस और सीबीआई जैसे संस्थानों को इसका सामना करना पड़ रहा है.मोहित कुमार पांडे
हाईकोर्ट ने दिया समय
सीबीआई के अनुरोध पर न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की सदस्यता वाली बेंच ने जांच को लेकर सीबीआई को आठ अगस्त तक एक रिपोर्ट दाखिल करने का समय दिया है.
हाईकोर्ट ने 16 मई को नजीब मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. नजीब रहस्यमय तरीके से अक्टूबर से लापता है.
सीबीआई ने अदालत से कहा कि वह एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
क्या है मामला ?
नजीब अहमद दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी का स्टूडेंट है. वह 14 अक्टूबर की रात से जेएनयू के हॉस्टल माही-मांडवी से लापता है. नजीब के लापता होने से एक रात पहले कैंपस में उसका झगड़ा हुआ था.
हॉस्टल मेस कमेटी के चुनाव के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के सदस्य हॉस्टल में जाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे, तभी नजीब और एबीवीपी के लोगों के बीच-कहा सुनी हो हुई थी. झगड़े के दूसरे दिन से नजीब लापता है.
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