सीबीएसई ने स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूलों पर डालते हुए संस्थानों के लिए नए गाइडलाइंस जारी किए हैं. इन्हें नहीं लागू करने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है.
ये दिशानिर्देश गुड़गांव के एक स्कूल में सात साल के बच्चे प्रद्युम्न की हत्या और दिल्ली के एक स्कूल में पांच साल की बच्ची से एक स्कूल कर्मी द्वारा बलात्कार की घटनाओं के बाद जारी किए गए हैं.
स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ने के बीच बोर्ड ने इस बारे में विस्तार से निर्देश दिए हैं:
- सुरक्षा आॅडिट
- सीसीटीवी कैमरे लगाना
- पुलिस वेरिफिकेशन
- साइकोलाॅजिकल असेसमेंट
- कर्मचारियों, अभिभावकों और छात्रों की शिकायतों के समाधान के लिए अलग समितियों का गठन
- यौन उत्पीड़न पर एक आतंरिक शिकायत समिति और पोक्सो कानून, 2012 के तहत समितियों का गठन
- अभिभावकों से नियमित फीडबैक लेना
- इसमें ये भी कहा गया है कि स्कूल इमारत में बाहर से आने-जाने वाले लोगों की निगरानी होनी चाहिए
- बच्चों की किसी तरह के उत्पीड़न से सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए स्कूल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए
- स्कूल कैंपस में बच्चों की सुरक्षा और स्किल के संबंध में किसी तरह की चूक पर एक्शन लिया जाए
सुरक्षा बच्चों का बुनियादी अधिकार
सीबीएसई के दिशा-निर्देशों में ये भी कहा गया है कि स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल प्रशासन पर होगी. ये बच्चों का मूलभूत अधिकार है कि वो ऐसे माहौल में पढ़ाई करें, जिसमें वो सुरक्षित महसूस करें और किसी तरह के शारीरिक या भावनात्मक उत्पीड़न से मुक्त हों.
(इनपुट भाषा से)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)