राफेल मामले में एक और नया मोड़ आया है. अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नया हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी. लेकिन अब सरकार की तरफ से दी गई दलील के बाद राफेल मामले की सुनवाई टल सकती है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राफेल से जुड़े दस्तावेजों पर केंद्र सरकार के ‘विशेषाधिकार’ वाले दावे को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन दस्तावेजों के आधार पर सुनवाई करने का फैसला दिया, जिन्हें सरकार की तरफ से विशेषाधिकार बताया जा रहा था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए तारीख तय की थी
विपक्ष के निशाने पर बीजेपी
राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी लगातार विपक्ष के निशाने पर है. सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेजों पर सुनवाई के फैसले के बाद राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा था. इसके अलावा अन्य विपक्षी नेताओं ने भी बीजेपी को घेरा था. अब एक बार फिर सरकार ने इस मामले पर समय मांगा है, ऐसे में विपक्षी दलों को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल चुका है. चुनावी माहौल में इस मुद्दे पर बहस गरम हो सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दस्तावेजों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा था कि अब ‘कोर्ट ने भी मान लिया चौकीदार चोर है’, इस मामले में उन पर कोर्ट ऑफ कंटेप्ट का मामला चल रहा है, जिसमें राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट अब अपना दूसरा हलफनामा दाखिल किया है
SC में केंद्र सरकार ने दी थीं ये दलीलें
केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई भी इन (राफेल डील से जुड़े) दस्तावेजों को कोर्ट में पेश नहीं कर सकता. वेणुगोपाल ने अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य कानून की धारा 123 और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दस्तावेज कोई प्रकाशित नहीं कर सकता क्योंकि देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है.
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