यूं तो हर मां का अपने बच्चे को एक बेहतर जिंदगी देने के लिए वो सबकुछ करती है, जो वो कर सकती है, लेकिन एक कामकाजी मां के लिए अपने काम और एक मां की भूमिका में तालमेल बिठाना जरा मुश्किल हो जाता है.
पर मां तो मां है, वो किसी भी तरह अपने भीतर की कामकाजी औरत और समझदार मां, दोनों के बीच का रास्ता बना ही लेती है. ऐसा करने वाली माओं की नजीर कम नहीं हैं.
चार बार फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में जगह दी है, पर आप उनकी बेटी को लिखी उनकी चिट्ठी पढ़िए, उनके अंदर की मां को आप अपनी सूची में सबसे बेहतर मां का दर्जा न दें, तो कहिएगा.
डियर आरती,
आज तुम्हें जीवन की एक नई यात्रा की शुरुआत के लिए तैयार खड़ी, आत्मविश्वास से लबरेज युवा महिला के रूप में सामने देख मुझे गर्व हो रहा है. आने वाले सालों में मैं तुम्हें फलते-फूलते और तरक्की करते देखना चाहती हूं. आज का ये पल मेरी अपनी यात्रा की यादें वापस ले आया है और जिंदगी के वो सबक भी, जो मैंने इस रास्ते पर सीखे.
जब मैं उस वक्त को याद करती हूं, तो महसूस होता है कि ज्यादातर सबक मैंने मां-बाप की पेश की गई नजीरों के जरिए बचपन में ही सीख लिए थे. जिंदगी के शुरुआती सालों में जो मूल्य उन्होंने मुझमे रोपे थे, उन्हीं से वो नींव बनी, जिस पर मैं आज भी खड़ी हूं.
हम दो बहन-एक भाई को हमारे मां-बाप ने बराबर समझा. चाहे पढ़ाई की बात हो या भविष्य की योजनाओं की, हमारे लड़की या लड़का होने की वजह से कभी भेदभाव नहीं किया गया. तुम्हारे नानी-नाना के पास हम तीनों के लिए एक ही संदेश था कि जिस चीज से हमें संतुष्टि मिलती है, हमें उसकी दिशा में पूरी लगन से काम करना चाहिए. उन्हीं शुरुआती बातों ने हमें अपना फैसला खुद लेने के काबिल इंसान बनाया. इसी ने मेरी मदद तब भी की, जब में अपनी ही खोज में निकल पड़ी थी.
मैं सिर्फ 13 साल की थी, जब हमारे पिता अचानक दिल का दौरा पड़ने से हमें अकेला छोड़ गए और हम उनके बिना जीने को जरा भी तैयार नहीं थे. अब तक हमें जिंदगी की चुनौतियों से दूर रखा गया था. पर एक रात में बिना किसी चेतावनी के सब बदल गया. मेरी मां, जो अब तक एक गृहिणी थी, उसके ऊपर तीन बच्चों को अकेले बड़ा करने की जिम्मेदारी आ पड़ी. तब हमें पता चला कि वो कितनी मजबूत थी और अपनी जिम्मेदारी को बेहतरीन तरीके से निभाने के लिए उनके मन में कितना दृढ़ संकल्प था.
धीरे-धीरे उन्होंने टेक्सटाइल डिजाइनिंग में खुद को तराशा और छोटी सी फर्म में नौकरी कर ली और जल्दी ही उन्हें अपने ऊपर निर्भर बना लिया. अकेले ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाना उनके लिए मुश्किल रहा होगा, पर उन्होंने हमें कभी इस बात का अहसास नहीं होने दिया. उन्होंने तब तक कड़ी मेहनत की, जब तक हम सब कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. मुझे कभी नहीं पता था कि मेरी मां को खुद पर इतना भरोसा है.
अगर आप फुलटाइम जॉब वाली मां या पिता हैं, तो आपके काम का असर आपके परिवार से आपके रिश्ते पर नहीं पड़ना चाहिए. वो वक्त याद है, जब तुम अमेरिका में पढ़ रही थी और मेरे ICICI की MD और CEO बनने की खबरें सारे अखबारों में थीं? मुझे वो मेल याद है. जो दो दिन बाद तुमने मुझे लिखा था, ‘आपने हमें कभी महसूस नहीं होने दिया कि आपका करियर इतना तनावभरा और इतना शानदार हो सकता है. घर पर आप सिर्फ हमारी मां थीं,’ तुमने अपने मेल में लिखा था कि तुम अपनी जिंदगी को वैसे ही जीना.
मां से मैंने एक बात और सीखी थी कि मुश्किलों से निपटकर आगे बढ़ते रहने की ताकत होना सबसे जरूरी है, फिर चाहे कुछ भी हो. मुझे आज भी याद है कि कितनी शांति से उन्होंने पापा के गुजरने के बाद सारी मुसीबतों से निपटते हुए सब संभाल लिया था. आपको सारी मुश्किलों का सामना कर, उनसे जीतना होता है, न कि उन्हें खुद पर हावी होने देना. मुझे याद है कि 2008 के आखिर में ग्लोबल इकनॉमिक मेल्टडाउन के दौरान ICICI बैंक को बचाए रखना कितना मुश्किल हो गया था. सारे बड़े मीडिया हाउस दूर से हमारी स्थिति को देखकर अंदाजे लगा रहे थे, हर जगह हमारे बारे में बहसें की जा रही थीं...
मैं काम पर लग गई, छोटे से छोटे पैसा जमा करने वाले से लेकर बड़े इनवेस्टर्स तक, सबसे बात की, रेगुलेटर्स से लेकर सरकार तक से बात की- बैंक परेशानी में नहीं था, पर मैं स्टेकहोल्डर्स की परेशानी भी समझती थी, क्योंकि कइयों को डर था कि उनका मेहनत से कमाया पैसा खतरे में है.
मैंने हर ब्रांच के स्टाफ को सलाह दी कि बैंक से पैसा निकालने आए हर इनवेस्टर की बात तसल्ली से सुनें. अगर कोई अपनी बारी का इंतजार कर रहा है, तो उन्हें बैठने को कुर्सी और पीने को पानी दें. और हां, भले ही लोगों को बैंक से अपना पैसा निकालने की पूरी आजादी थी, पर हमारे स्टाफ ने उन्हें समझाया कि ऐसा करने से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि दरअसल क्राइसिस की कोई बात नहीं थी.
उन्हीं मुश्किल दिनों की बात है, जब एक दिन मैंने तुम्हारे भाई के स्क्वॉश टूर्नामेंट के लिए दो घंटे की छुट्टी ली थी. उस वक्त मुझे अंदाजा नहीं था, पर उस दिन मेरे वहां होने से बैंक के कस्टमर्स का हम पर भरोसा मजबूत हुआ था. कुछ मांओं ने मेरे पास आकर पूछा कि क्या मैं ICICI की चंदा कोचर हूं, और जब मैंने हां में जवाब दिया, तो उनका अगला सवाल था कि इतने क्राइसिस के दौरान में खेल के लिए वक्त कैसे निकाल सकती हूं? उन्हें भरोसा हो गया था कि अगर मैं खेल के लिए वक्त निकाल रही हूं, तो बैंक सही हाथों में है और अपने पैसे को लेकर उन्हें डरने की जरूरत नहीं है.
मैंने अपनी मां से परिस्थितियों के हिसाब से ढलना और अनहोनी से न डरना भी सीखा. अपने करियर के लिए कड़ी मेहनत करते वक्त मैंने अपने परिवार की देखभाल भी की. जब भी मेरी मां और मेरे ससुराल वालों को मेरी जरूरत हुई, मैं उनके साथ थी. उन्होंने भी मेरा साथ दिया और मेरे करियर को आगे ले जाने में मेरी मदद की.
याद रखना, रिश्ते बेहद जरूरी हैं और हमें उनका खयाल रखना चाहिए. ये भी याद रखो कि रिश्ते एकतरफा नहीं होते, इसलिए जो आप अपने रिश्ते में सामने वाले से उम्मीद रखते हो, वो उसे देने के लिए भी तैयार रहना.
आज मेरा करियर जहां है, वहां कभी नहीं पहुंच पाता, अगर तुम्हारे पापा मेरे साथ न होते, जिन्होंने कभी उस वक्त को लेकर शिकायत नहीं की, जो मैं घर से बाहर बिताती थी. हम दोनों ही अपने करियर में व्यस्त थे, लेकिन फिर भी हम दोनों ने अपने रिश्ते को संवारा, मुझे भरोसा है कि वक्त आने पर तुम भी अपने पार्टनर के साथ वैसा ही करोगी.
अगर तुमने मेरे घर से काफी वक्त तक बाहर रहने को लेकर शिकायत की होती या उसे लेकर तुम परेशान हुई होती, तो मैं कभी अपने लिए करियर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती. मेरा सौभाग्य है कि मुझे इतना समझदार और साथ देने वाला परिवार मिला है. मुझे यकीन है कि जब तुम अपना परिवार बनाओगी, तुम भी इतनी ही भाग्यशाली रहोगी.
मुझे याद है, जब तुम्हारे बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले थे. मैंने छुट्टी ली थी, ताकि मैं तुम्हें खुद एग्जाम दिलाने ले जा सकूं. तब तुमने मुझे बताया कि कितने साल तक तुम्हें अकेले एग्जाम देने जाना पड़ा था. मुझे बहुत दुख हुआ था वो सुनकर. पर मुझे ये भी लगा कि एक कामकाजी मां की बेटी होने की वजह से तुम एक छोटी उम्र में ही आत्मनिर्भर हो गई. तुम सिर्फ समझदार ही नहीं हुई, बल्कि तुमने अपने छोटे भाई का भी खयाल रखा, तुमने उसे कभी मेरी कमी महसूस नहीं होने दी. मैंने भी तुम पर भरोसा करना, तुममें विश्वास रखना सीखा और अब तुम एक मजबूत, आत्मनिर्भर महिला बन गई हो. मैं अब वही सिद्धांत अपनी कंपनी में भी अपनाती हूं, नए टैलेंट को बड़ी जिम्मेदारियां देकर.
मुझे किस्मत पर यकीन है, पर मुझे इस बात पर भी भरोसा है कि कड़ी मेहनत आपकी जिंदगी बदल सकती है. सच कहें, तो अपनी किस्मत हम खुद लिखते हैं. अपनी किस्मत को हाथ में लेकर वो सब खुद लिख दो, जो तुम पाना चाहती हो. जब तुम जिंदगी में आगे बढ़ो, मैं चाहती हूं कि सफलता की सीढ़ियां तुम एक-एक कर चढ़ो. इन सारे छोटे-छोटे कदमों से ही एक यात्रा पूरी होगी.
आगे बढ़ते वक्त कई बार तुम्हें मुश्किल फैसले लेने होंगे, ऐसे फैसले जो शायद दूसरों को पसंद न आएं, पर तुममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि तुम उसके लिए खड़ी हो सको, जिसमें तुम्हारा विश्वास है. ध्यान रहे कि तुममें वो करने की हिम्मत होनी चाहिए, जो तुम्हें सही लगता है. एक बार तुम वो फैसला ले लो, तो फिर बेवजह सवाल तुम्हें भटका न सकें.
आरती, दृढ इच्छा शक्ति से कुछ भी पाया जा सकता है, इसकी सीमा नहीं, पर अपने लक्ष्य के पीछे जाते वक्त अपनी ईमानदारी और मूल्यों से समझौता मत करना. अपने आस-पास के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना. याद रखना कि अगर तुम तनाव को खुद पर हावी नहीं होने दोगी, तो ये कभी तुम्हारे लिए मुसीबत नहीं बन सकता.
याद रखना कि अच्छा और बुरा, दोनों तरह का वक्त जिंदगी में बराबर आता है, तुम्हें इसे एक ही तरह से लेना सीखना होगा. जिंदगी जो अवसर दे, उनका पूरा फायदा उठाओ और हर अवसर, हर चुनौती से सीखती रहो.
लविंगली योर्स, मम्मा
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