चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (Chandigarh University) में 16 सितंबर को कुछ लड़कियों नहाते हुए वीडियो वायरल होने का मामला सामने आया. इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में स्टूडेंट ने विरोध प्रदर्शन किया. बताया जा रहा है कि यह घटना होने के बाद अब छात्राओं में दहशत का माहौल है और कई छात्राओं को उनके घरवालों ने वापस बुलाना शुरू कर दिया है.
आइए जानते हैं कि इस तरह की एक्टविटीज के संबंध में भारतीय संविधान में क्या प्रावधान हैं. ऐसा अपराध करनेवाले आरोपियों को किस तरह की सजा का हो सकती है.
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act- 2000)
भारतीय संविधान में शामिल सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम (IT Act-2000) में कई धाराएं हैं, जो ऐसे मामलों में सीधे लागू होती हैं. इसमें पुलिस को हस्तक्षेप करने और कार्रवाई करने का अधिकार है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट दिनेश कुमार सिंह ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम (IT Act-2000) की धारा 66ए के मुताबिक किसी को बिना बताए किसी महिला की फोटो कैप्चर करना, उसे शेयर करना या पब्लिश करना अपराध है, जिसमें दंड का प्रावधान किया गया है. इसके तहत अपराधी को तीन साल की सजा और एक लाख का जुर्माना हो सकेगा.
अगर किसी महिला से संबंधित आपत्तिजनक वीडियो/कंटेंट टेक्नोलॉजी के जरिए या सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, तो इसमें धारा 67 लागू होगी. इसके तहत आरोपी को तीन साल की सजा और पांच लाख रूपए तक का जुर्माना होगा.दिनेश कुमार सिंह, एडवोकेट, इलाहाबाद हाईकोर्ट
उन्होंने आगे बताया कि अगर आरोपी फिर से इस तरह के अपराध में शामिल पाया जाता है तो यह सजा बढ़कर पांच साल हो जाएगी और जुर्माना 10 लाख देना होगा. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में भी इसी धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इसके अलावा अगर आरोपी जानबूझकर किसी की प्राईवेसी भंग करेगा, उसकी सहमति के बिना प्राईवेट पार्ट की तस्वीर लेकर शेयर/पब्लिश करेगा तो यहां पर आईटी एक्ट धारा 66-ई लागू होगी. इसके तहत तीन साल की जेल और दो लाख रूपए का जुर्माना हो सकेगा.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- 1860)
एडवोकेट दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की 1860 की धारा 354-सी के मुताबिक दृश्यरतिकता (Voyeurism) को अपराध घोषित किया गया है. इसके तहत यदि किसी महिला की नहाते हुए, कपड़े बदलते हुए या इस तरह की कोई आपत्तिजनक/प्राईवेट तस्वीर ली जाती है, तो यह 357-सी की कैटेगरी में आती है.
इसमें दोषी पाए गए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कम से कम एक साल और अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है. अगर आरोपी फिर से ऐसा ही अपराध करता है तो कम से कम तीन साल ज्यादा से ज्यादा 7 साल की सजा जुर्माने के साथ होगी.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि अगर ऐसे मामलों में आरोपी एक से ज्यादा हैं तो धारा 34 और आरोपियों की संख्या पांच होने पर धारा 147, 148 और 149 लागू होगी.
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