भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) का मिशन चंद्रयान-2 अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका. पिछले 60 सालों का इतिहास देखा जाए, तो लूनर मिशन में सफलता का अनुपात महज 60 फीसदी ही रहा है. 40 फीसदी मिशन अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सके. NASA के मुताबिक, छह दशकों में 109 लूनर मिशन शुरू किए गए, जिसमें 61 सफल हुए और 48 असफल रहे.
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मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' का चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग से 2 किमी पहले अचानक इसरो से संपर्क टूट गया. हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित है और चांद के चक्कर लगा रहा है.
लूनर मिशन कितने सफल, कितने फेल?
- पहले लूनर मिशन की योजना अमेरिका ने 17 अगस्त, 1958 में बनाई, लेकिन पाइनियर 0 का लॉन्च असफल रहा.
- पहला सफल लूनर मिशन चार जनवरी 1959 में यूएसएसआर का लूना 1 था. ये सफलता छठे चंद्र मिशन में मिली.
- साल 1958 से 2019 तक भारत के साथ ही अमेरिका, यूएसएसआर (रूस), जापान, यूरोपीय संघ, चीन और इजराइल ने कई लूनर मिशनों को शुरू किया.
- एक साल से थोड़े अधिक समय के भीतर अगस्त 1958 से नवंबर 1959 के दौरान अमेरिका और यूएसएसआर ने 14 अभियान शुरू किए. इनमें से सिर्फ 3 (लूना 1, लूना 2 और लूना 3) सफल हुए. ये सभी यूएसएसआर ने शुरू किए थे.
- इसके बाद जुलाई 1964 में अमेरिका ने रेंजर 7 मिशन शुरू किया, जिसने पहली बार चंद्रमा की नजदीक से फोटो ली.
- रूस ने जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं.
- पांच महीने बाद मई 1966 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक ऐसे ही एक मिशन सर्वेयर-1 को अंजाम दिया.
- अपोलो 11 अभियान एक लैंडमार्क मिशन था, जिसके जरिए इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े. तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की.
- साल 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और यूएसएसआर ने ही लूनर मिशन शुरू किए. इन 21 सालों में दोनों देशों ने 90 मिशन शुरू किए. इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इजराइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा.
- इजराइल ने फरवरी 2018 में लूनर मिशन शुरू किया था, लेकिन ये अप्रैल में क्रैश हो गया.
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