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नए साल पर होने वाले वो बदलाव, जिसे जानना आपके लिए है बेहद जरूरी 

अगर आपको इस नए बदलाव की जानकारी नहीं है तो हो सकता है कुछ नुकसान?

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भारत
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नए साल पर देशभर में कुछ चीजों को लेकर बदलाव होने जा रहा है. कुछ बदलाव आपके लिए अच्छे हो सकते हैं, वहीं अगर आप सतर्क नहीं हुए, तो कुछ बदलाव आपको परेशानी में भी डाल सकते हैं.

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आइए एक नजर डालते हैं, देश में होने वाले उन 5 बदलावों पर, जो नए साल पर होने जा रहे हैं. इन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है.

  • 1 जनवरी से देशभर के सभी बैंक नॉन सीटीएस चेक नहीं लेंगे. अब केवल सीटीएस चेक यानी चेक ट्रंकेशन सिस्टम वाले चेक ही स्वीकार होंगे. आरबीआई की नई गाइडलाइन के मुताबिक अब लोग 1 जनवरी से नॉन सीटीएस चेक से पेमेंट नहीं कर पाएंगे. कई देशों में सीटीएस चेक शुरू हो चुका है. अब भारत में यह 1 जनवरी से शुरू हो रहा है. सीटीएस चेक की खास बात यह है कि इसकी आसानी से इलेक्ट्रॉनिक इमेज बनाई जा सकती है.
  • नेशनल पेंशन स्कीम पर अब आपको 1 जनवरी से टैक्स नहीं देना होगा. नेशनल पेंशन स्कीम को ईईई कैटेगरी में लाने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है. अब 2019-20 से एनपीएस का मेच्योरिटी पीरियड पूरा होने या रिटायरमेंट पर एनपीएस से की जाने वाली निकासी पर टैक्स पूरी तरह से फ्री होगा. एनपीएस एक तरह का रिटायरमेंट सेविंग अकाउंट है.
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अगर आपको इस नए बदलाव की जानकारी नहीं है तो  हो सकता है कुछ नुकसान?
  • अगर आपने अब तक अपना पुराना डेबिट कार्ड बदलकर ईएमवी चिप वाला नया डेबिट कार्ड नहीं लिया है, तो 1 जनवरी से आपका कार्ड काम करना बंद कर देगा. 1 जनवरी से मैग्नेटिक स्ट्रिप डेबिट/ क्रेडिट कार्ड काम नहीं करेंगे. केवल ईएमवी चिप बेस्ड कार्ड ही काम करेंगे. फ्रॉड से बचने के लिए यह नया कार्ड शुरू किया गया है.
  • 1 जनवरी से सभी व्हीकल इंश्योरेंस कंपनियों को अपनी पॉलिसी में नए नियमों को शामिल करना होगा. अब सरकारी एजेंसी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने एक्सीडेंट में मरने वाले कार/कमर्शियल व्हीकल्स ड्राइवर या टू-व्हीलर राइडर के लिए कंपल्सरी पर्सनल एक्सीडेंट (CPA) कवर को 1 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए तक कर दिया है.
  • नए साल पर कारों की कीमतें में इजाफा हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, टोयोटा और फोर्ड जैसी कुछ कंपनियां 2019 से कीमतों को बढ़ा सकती हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ रही है, इसकी वजह से कंपनियां कीमत बढ़ाने पर विचार कर रही हैं.

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