भारत-चीन के बीच सिक्किम सेक्टर में चल रहा सीमा विवाद बुधवार को और बढ़ गया. चीन ने पहली बार 15 पेजों का अधिकृत बयान जारी कर भारत को चेतावनी दी है. बयान में कहा गया है कि मौजूदा गतिरोध खत्म करने के लिए भारत को 'बिना किसी शर्त के' सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम से अपनी सेना फौरन हटाकर 'ठोस कार्रवाई' करनी चाहिए.
चीन ने भारत के उन दावों को खारिज किया है जिसमें भारत ने कहा कि चीन सड़क निर्माण के जरिए सीमा क्षेत्र की स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है. वहीं चीन ने ये दावा किया है भारत ही चीनी क्षेत्र में 'अतिक्रमण' कर सीमा की स्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है.
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए इस बयान में कहा गया कि 18 जून को तकरीबन 270 भारतीय सैनिक ‘चीनी जमीन पर सड़क निर्माण को रोकने के लिए ‘ चीनी इलाके में 100 मीटर से ज्यादा घुस आए. इससे ‘क्षेत्र में तनाव पैदा हुआ है’.
इस 15 पेजों के बयान में कहा गया है कि एक समय 400 से ज्यादा लोगों ने तीन खेमे लगा दिए और चीनी जमीन में 180 मीटर से ज्यादा आगे चले आए. आगे कहा गया है-
जुलाई के अंत में, अब भी वहां भारतीय सीमा बल के 40 से ज्यादा सैनिक और एक बुलडोजर अवैध रुप से चीनी जमीन पर टिके हैं.
चीन ने कहा है कि कोई भी संप्रभु देश इस तरह की कोशिश बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
चीन ने भारत पर भूटान का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया है. चीन ने भारत के इस तर्क को भी खारिज कर दिया है कि भारत, चीन और भूटान के त्रिकोणीय जंक्शन पर सड़क निर्माण भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर कारण है.
डोभाल के दौरे का कोई खास फायदा नहीं!
बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के स्टेट काउंसिलर यांग जेइची भारत-चीन के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं. इन दोनों की मुलाकात 28 जुलाई को ब्रिक्स में हिस्सा लेने के दौरान हुई.
चीन के विदेश मंत्रालय ने डोकलाम से जुड़े विवाद पर दोनों देशों के बीच चर्चा के बारे में जवाब देते हुए बताया कि यांग ने डोभाल से मुलाकात की है. चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इशारा किया कि डोभाल और यांग के बीच बातचीत के दौरान कोई खास प्रगति नहीं हुई.
सुषमा स्वराज ने दिया था दो टूक जवाब
इस पूरे मामले पर भारत का रुख पिछले महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ किया था. उन्होंने सीमा पर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की हिमायत करते हुए कहा था कि इसपर किसी बातचीत के शुरू करने के लिए पहले दोनों पक्षों को अपनी-अपनी सेना हटानी चाहिए.
भारत ने चीन सरकार को ये भी साफ किया है कि उस क्षेत्र में सड़क निर्माण से बदलाव आएगा जिसके गंभीर सुरक्षा निहितार्थ होंगे.
'ग्लोबल टाइम्स' के हवाले से कई बार छपे भड़काऊ बयान
करीब 1.5 महीने से चल रहे भारत-चीन विवाद के दौरान चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स लगातार आग उगलता रहा है. कई संपादकीय में परोक्ष तौर पर भारत को युद्ध तक की भी धमकी दी गई. ऐसा में चीन का ये ऑफिशियल बयान पुराने बयानों को ही दोहराने जैसा दिखता है.
इससे पहले 6 जुलाई को भारत में चीनी दूतावास के पॉलिटिकल काउंसलर ली या ने कहा था- भारतीय सुरक्षाबल सिक्किम सेक्टर के भारत-चीन सीमा को पार कर गए. ये चीन और ग्रेट बिटेन के बीच 1890 में हुए समझौते का उल्लंघन है.
क्या है मामला ?
भारत-चीन के बीच पिछले 16 जून से ये टकराव चल रहा है. दरअसल, चीनी सेना के एक निर्माण दल का भूटान 'ट्राइजंक्शन' के पास डोकलाम इलाके में सड़क बनाने के लिए आने के बाद ये विवाद शुरू हुआ.
इस क्षेत्र को भूटान डोकलाम के रूप में मान्यता देता है जबकि चीन इसे अपने डोंगलांग इलाके का हिस्सा बताता है.
ऐसे में चीन ने कहा था कि भारत को चीन-भूटान सीमा वार्ता में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. वो भूटान की तरफ से क्षेत्र को लेकर दावा करने के लिए अधिकृत है. इस गतिरोध पर भारत ने भी साफ कर दिया है कि वो डोकलाम से अपने सैनिकों को तब तक नहीं हटाएगा जब तक चीनी सैनिक इलाके को नहीं छोड़ देते
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