जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए सात ग्रेनेड हमलों के तार चीन से जुड़े हुए थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच से पता चला है कि इन हमलों में इस्तेमाल ग्रेनेड चीन में बने हुए थे. चार हमलों में इस्तेमाल ग्रेनेड के लीवर्स पर एक ही सीरियल नंबर पर था. ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की एक खबर में हमलों के बारे में जानकारी रखने वालों के हवाले से इसका खुलासा किया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के सूत्रों के मुताबिक हमलों की जांच करने वाले इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पाकिस्तानी सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले चीनी हथियार सीमा पार से घाटी तक पहुंचाए गए. इन्हीं से सुरक्षा बलों पर हमले हुए हैं.
जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ब्लॉक के सूत्रों ने नाम न जाहिर करने के शर्त पर 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि श्रीनगर में चार हमलों में इस्तेमाल ग्रेनेड के लीवर्स पर एक ही सीरियल नंबर (86P/01-03/632) खुदा हुआ था. जब ग्रेनेड फेंके जाते हैं तो ये लीवर्स (सेफ्टी हैंडल) खुल कर गिर जाते हैं.
इन सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमलों में चीनी ग्रेनेड का इस्तेमाल होता है. अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बलों ने 23 ग्रेनेड और 17-एके राइफलें बरामद की थीं. ये हथियार चीन में बने ड्रोन से गिराए गए थे. पंजाब पुलिस ने अगस्त 2019 के बाद आठ आतंकी साजिशों को भंडाफोड़ किया था.
ऑस्ट्रियन कंपनी के बजाय अब चीनी कंपनियों के ग्रेनेड का इस्तेमाल
जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने हथियार का इस्तेमाल बदला है. पहले वे ऑस्ट्रियन कंपनी के बनाए ग्रेनेड का इस्तेमाल करते थे. 2008 के मुंबई हमलों, 1993 में मुंबई धमाकों और 2001में हुए पार्लियामेंट अटैक में इन्हीं ग्रेनेड का इस्तेमाल हुआ था. अर्जेस नाम के इस खतरनाक हैंड ग्रेनेड पाकिस्तान में रावलपिंडी के वाह कैंट की फैक्ट्री में बनते रहे हैं. ऑस्ट्रियन कंपनी की फ्रेंचाइजी के तहत यहां ये ग्रेनेड बनाए जाते रहे हैं. यहीं से भारतीय सीमा में हथियार लाए जाते रहे हैं. लेकिन अब चीनी ग्रेनेड इस्तेमाल हो रहे हैं.
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