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राज्यसभा से भी पास हुआ CAB, जानिए बिल की बड़ी बातें

शिवसेना ने वोटिंग के दौरान किया वॉकआउट

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नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े हैं, जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े हैं.

बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था, लेकिन राज्यसभा में उसने इस बिल पर वोटिंग से पहले वॉकआउट कर दिया. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में अपने सहयोगी दलों के दबाव के बीच शिवसेना ने ऐसा किया है.

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सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल 2019 को लोकसभा में आसानी से पास करा लिया था. वहां इस बिल के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े थे.

क्या है नागरिकता संशोधन बिल 2019?

यह बिल सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस एक्ट के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. हालांकि यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.

तय समय तक रहने वाले प्रावधान के तहत सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के जरिए ऐसा व्यक्ति भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है, जो पिछले 12 महीनों के दौरान भारत में रहा हो, साथ ही पिछले 14 सालों में कम से कम 11 साल भारत में रहा हो. नागरिकता संशोधन बिल 2019, 3 देशों से आए 6 धर्म के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है.

इस ढील के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.  
अवैध प्रवासी उनको माना जाता है, जो बिना वैध दस्तावेज के देश में आए हैं, या फिर अनुमति से ज्यादा समय तक देश में रह रहे हैं.

इसके अलावा नया नागरिकता संशोधन बिल सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में ओवरसीज सिटिजन्स ऑफ इंडिया (OCI) का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के मौजूद प्रावधानों में एक नया प्रावधान जोड़ने की बात करता है. इस प्रावधान के तहत अगर कोई OCI भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन करता है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो जाएगा.

बता दें कि वे विदेशी सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के तहत OCI के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, जो भारतीय मूल के हैं या फिर उनके पति/पत्नी भारतीय मूल के हैं. OCI को भारत में घूमने, पढ़ने और काम करने के अधिकार जैसे फायदे मिलते हैं.

कहां लागू नहीं होंगे नागरिकता संशोधन बिल 2019 के प्रावधान

इस बिल के प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होंगे. इन इलाकों में कार्बी आंगलॉन्ग (असम), गारो हिल्स (मेघालय), चकमा डिस्ट्रिक्ट (मिजोरम) और त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज डिस्ट्रिक्ट शामिल हैं.

बता दें कि छठी अनुसूची में शामिल इलाकों को स्वायत्त जिला परिषद (ADC) के विशेष अधिकार मिले हुए हैं. ADC आदिवासी इलाकों के विकास जैसे उद्देश्यों के लिए अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले विषयों पर कानून बना सकते हैं.

नागरिकता संशोधन बिल 2019 के प्रावधान बंगाल ईस्टर्न रेग्युलेशन्स, 1873 के तहत इनर लाइन के अंदर आने वाले इलाकों पर भी लागू नहीं होंगे. बता दें कि इनर लाइन परमिट अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड के इलाकों को रेग्युलेट करता है. यह एक विशेष परमिट होता है, जिसकी जरूरत भारत के दूसरे हिस्सों के नागरिकों को इनर लाइन के तहत आने वाले इलाकों में जाने के लिए पड़ती है.

बिल को लेकर विरोध और उस पर सरकार का जवाब

संसद में इस बिल पर कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने विरोध जताया. एनसीपी, बीएसपी और एसपी विरोध दर्ज कराते हुए बिल पर पुनर्विचार की मांग की. साथ ही इसमें ‘मुस्लिम’ शब्द शामिल करने की मांग की. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और आर्टिकल 14 का भी उल्लंघन करता है.

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''किसी भी तरह से नागरिकता संशोधन बिल गैर संवैधानिक नहीं है. न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है. आर्टिकल-14 में जो समानता का अधिकार है, उसके तहत रीजनेबल क्लासीफिकेशन के आधार पर कानून बनाने से आर्टिकल 14 में कोई रोक नहीं है.'' इसके अलावा उन्होंने कहा, ''हमें मुसलमानों के कोई नफरत नहीं है. इस देश के किसी मुसलमान का इस बिल से कोई वास्ता नहीं है. ये तीन देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है.'' शाह के मुताबिक, ये अल्पसंख्यक उन देशों से भारत आए हैं, जहां उनके साथ अत्याचार होता था.

नॉर्थ ईस्ट के कई हिस्सों में भी इस बिल के खिलाफ भारी विरोध देखा गया है. इसकी मुख्य वजह ये है कि वहां के मूल निवासियों को डेमोग्राफी बदलने और स्वायत्ता पर खतरे की आशंका है. हालांकि अमित शाह का कहना है कि इस बिल में नॉर्थ ईस्ट के लोगों की चिंताओं पर पूरा ध्यान दिया गया है.

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