राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर चर्चा हो रही है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में अपने संबोधन में जेपीसी के बयान का जिक्र किया. बिल में नास्तिकों के न होने का सवाल उठाया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि क्यों नागरिकता बिल का विरोध किया जाना चाहिए.
राज्यसभा में मनोज झा ने नागरिकता बिल पर कहा-
इतिहास में कई ऐसे क्षण आते हैं जब आसानी से ये कह दूं कि समर्थन कर रहा हूं या विरोध कर रहा हूं. इससे बात नहीं बनेगी. मेरा इस बिल पर तीन आधारों पर विरोध है पहला सैद्धांतिक, दूसरा ऐतिहासिक और तीसरा व्यवहारिक. हम उदार थे वसुधैव कुटुंबकम में हमारा विश्वास था. ये हम कहां से कहां आ गए.मनोज झा, राज्यसभा सांसद
मनोज झा ने राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह की तरफ इशारा करते हुए कहा- "विपक्ष में हूं राजनीतिक शत्रु नहीं हूं. क्राम्पवैल के शब्दों में कह रहा हूं- 'आप एक बार जरूर सोचिएगा कि कहीं आप बहुत बड़ी गलती तो नहीं कर रहे'. “
मनोज झा ने नागरिकता बिल पर संयुक्त संसदीय समिति का हवाला देते हुए कहा- एक्सपर्ट्स ने कहा था कि प्रताड़ित अल्पसंख्यकों शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और धार्मिक आधार को छोड़ देना चाहिए. इसे दरकिनार कर दिया गया. दरकिनार करने के पीछे क्या वजह है समझ में नहीं आया.
‘प्रताड़ना समझना होगा’
मनोज झा ने कहा- ‘आपको प्रताड़ना के व्यवहार को समझना होगा. जो प्रताड़ना जिस राज्य का धर्म है वो किसी के साथ भी प्रताड़ना कर सकता है. जर्मनी में जब यहूदियों के साथ प्रताड़ना हो रही थी तो सिर्फ यहूदियों नहीं जो लोग उनके लिए आवाज उठा रहे थे उनका भी उत्पीड़न हुआ.’
बिल में नास्तिकों के लिए कोई जगह नहीं
मनोज झा ने नागरिकता देने में नास्तिकों का भी सवाल उठाया. मनोज झा ने कहा- “आपके बिल में नास्तिक लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. बहुत से लोगों का इसकी वजह से भी उत्पीड़न होता है क्यों कि वो नास्तिक हैं."
ये बिल संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ जाता है. जो भी नैतिकता और संविधान के खिलाफ है उसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. आज बीजेपी का बहुमत है. मैं जानता हूं आप इस बिल को पास करा लेंगे. इतिहास में दस बीस साल की सरकार 2 लाइन में सिमट जाती है.’
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